Bihar Politics: जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अपने राजनीतिक पदार्पण की तैयारी कर रहे हैं। JDU नेताओं का कहना है कि होली के बाद निशांत कुमार के आधिकारिक तौर पर राजनीति में आने की संभावना है। बता दें कि निशांत की राजनीति में एंट्री से बिहार के समीकरण बदल सकते हैं, क्योंकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने एक बार फिर नीतीश कुमार को सीएम उम्मीदवार के तौर पर उतारने की योजना बनाई है।
JDU सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि निशांत कुमार (Nishant Kumar) के राजनीति में उतरने की पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग तेज होती जा रही है। बताया जा रहा है कि बढ़ती मांग के बाद निशांत के होली के बाद आधिकारिक तौर पर सक्रिय रूस से राजनीति में उतरने की संभावना है। JDU के एक सूत्र ने कहा, "ऐसा लगता है कि वे राजनीति में उतरने के लिए तैयार हैं। बस उन्हें नीतीश कुमार से हरी झंडी मिलनी बाकी है।"
70 साल के नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता हैं। पिछले साल से ही JDU के राजनीतिक गलियारों में निशांत का नाम चर्चा में रहा है। हालांकि, कई नेताओं ने शुरू में राजनीति में उनकी भूमिका को कमतर आंका था।
8 जनवरी को निशांत अपने पिता के साथ अपने गृहनगर बख्तियारपुर में स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों का अनावरण करने के लिए देखे गए, जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से लोगों से आगामी चुनावों में उन्हें फिर से लाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "यदि संभव हो तो कृपया मेरे पिता और उनकी पार्टी को वोट दें। उन्हें एक बार फिर मौका दें। हालांकि उन्होंने खुद को शामिल किए जाने के बारे में चुप्पी साधे रखी।
निशांत कुमार का जन्म 20 जुलाई, 1975 को हुआ था। वे बिहार के वर्तमान सीएम और मंजू सिन्हा के इकलौते बेटे हैं। मंजू सिन्हा का 2007 में निधन हो गया था। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT) मेसरा के पूर्व छात्र 49 वर्षीय निशांत कुमार अधिकांश राजनीतिक घटनाओं से दूर रहे हैं।
पिछले साल जुलाई में उन्होंने राजनीति में आने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुना है। हालांकि, 2015 में अपने पिता के शपथ ग्रहण समारोह में वे शामिल हुए थे। उसके बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता श्रवण कुमार ने संकेत दिया था कि युवा कुमार राजनीति में आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सही समय पर इस बारे में फैसला लिया जाएगा।
निशांत का राजनीति में संभावित एंट्री इसलिए भी दिलचस्प हो गया है, क्योंकि उनके पिता पिछले कई सालों से वंशवादी राजनीति के कट्टर आलोचक रहे हैं। उन्होंने इसके लिए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की भी आलोचना की है।
पिछले साल जून में JDU के प्रदेश महासचिव प्रम हंस कुमार ने कहा था कि समय और परिस्थिति की मांग है कि निशांत कुमार पार्टी और राज्य के कल्याण के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार 'परिवारवाद' का विरोध करते हैं। लेकिन अगर एक स्वच्छ छवि वाले नेता का बेटा ईमानदारी से देश और राज्य की सेवा करना चाहता है, तो इसमें क्या गलत है?"
8 जनवरी की घटना के बाद विपक्षी दलों ने आगामी चुनावों में निशांत द्वारा अपने पिता का समर्थन करने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह नीतीश कुमार की घटती जन अपील को दर्शाता है। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के अनुसार, RJD और कांग्रेस ने बिहार में बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की भविष्यवाणी की और सुझाव दिया कि नीतीश अपनी विरासत को आगे बढ़ाना चाहेंगे।
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और JDU सीएम और उनके बेटे के बचाव में आए। हंस कुमार ने कहा, "वह (निशांत कुमार) एक शांत और दूरदर्शी नेता साबित होंगे। लोग उनके बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, क्योंकि वह सार्वजनिक रूप से ज्यादा सामने नहीं आते हैं... राजनीति में निशांत कुमार की मांग का मतलब यह नहीं है कि हमारी पार्टी कमजोर हो गई है, ताकि पार्टी को और मजबूत किया जा सके और राज्य का और विकास किया जा सके।" बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार द्वारा किए गए कार्यों की भी प्रशंसा की। भगवा पार्टी ने कहा कि निशांत का बयान राज्य में उनके पिता के योगदान के लिए एक उचित योगदान है।