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Sharad Pawar’s Birthday: 84 साल के हुए राजनीति के 'चाणक्य', क्या महाराष्ट्र में हार के बाद शरद पवार का करिश्मा खत्म हो गया है?

Sharad Pawar’s Birthday: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (12 दिसंबर) को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार को जन्मदिन की बधाई दी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक शरद पवार का गुरुवार को 84वां जन्मदिन है। इस खास मौके पर हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है

अपडेटेड Dec 12, 2024 पर 12:33 PM
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Sharad Pawar’s Birthday: देश के सबसे अनुभवी नेताओं में शामिल पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को हुआ था

Sharad Pawar’s Birthday: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार आज यानी गुरुवार (12 दिसंबर) को अपना 84वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक और वरिष्ठ नेता शरद पवार को उनके 84वें जन्मदिन पर गुरुवार को बधाई दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा, "राज्यसभा के सदस्य और वरिष्ठ नेता शरद पवार जी को उनके जन्मदिन पर मेरी शुभकामनाएं। मैं उनके दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।"

देश के सबसे अनुभवी नेताओं में शामिल पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को हुआ था। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के रूप में सेवाएं दी हैं। पवार राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं। वह एक बार रक्षा और दो बार कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

बारामती में हुआ था जन्म


पुणे जिले के बारामती में शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को हुआ था। उनका पूरा नाम गोविंदराव पवार है। कैंसर की लंबी बीमारी के बावजूद भी उन्होंने राजनीति से दूरी बनाना जरूरी नहीं समझा। वो भारतीय राजनीति में सबसे अनुभवी नेता के रूप में जाने जाते हैं। इनके पिता का नाम गोविंदराव पवार और माता का नाम शारदाबाई पवार था। पवार ने अपनी शुरुआती शिक्षा महाराष्ट्र एजुकेशन सोसाइटी के एक स्कूल से पूरी की थी। इसके बाद पुणे यूनिवर्सिटी के तहत बृहन महाराष्ट्र कॉलेज ऑफ कॉमर्स से पढ़ाई पूरी की थी।

1956 से राजनीति में हैं सक्रिय

शरद पवार ने वर्ष 1956 से सक्रिय रूप से राजनीति में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। उन्होंने गोवा मुक्ति आंदोलन में भी हिस्सा लिया। कॉलेज में उन्होंने छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ा। इस तरह से वो युवा कांग्रेस के सदस्य बन गए। साल 1967 में बारामती का प्रतिनिधित्व करते हुए शरद पवार महाराष्ट्र विधानसभा में पहुंचे। इसके बाद साल 1972 और 1978 के चुनाव में भी उनको विजय मिली। यशवंत राव चव्हाण के संरक्षण में अपना राजनीतिक करियर शुरू करने वाले पवार लगातार नए-नए कीर्तिमान गढ़ते रहे। उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

क्या शरद पवार का करिश्मा खत्म हो गया है?

शरद पवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई। राजनीतिक पारी खत्म होने संबंधी भविष्यवाणियों को गलत साबित करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख और उनके भतीजे अजित पवार ने न केवल 'महायुति' में, बल्कि छठी बार उपमुख्यमंत्री बनकर महाराष्ट्र की राजनीति में भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। NCP संस्थापक के खिलाफ बगावत करने के एक साल से अधिक समय बाद अजित पवार अब अपने चाचा शरद पवार की छत्रछाया से मजबूती के साथ बाहर आ गए हैं।

हाल में समाप्त हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शरद पवार द्वारा उनके खिलाफ आक्रामक प्रचार किए जाने के बावजूद उन्होंने (अजित पवार) न केवल अपने परिवार के गढ़ बारामती विधानसभा क्षेत्र पर अपनी पकड़ बरकरार रखी। बल्कि राज्य की राजनीति में अपनी जगह भी मजबूत कर ली। 20 नवंबर को 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए हुए चुनाव में अजित पवार की पार्टी ने 59 सीट पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 41 सीट पर उसे जीत मिली थी।

यह 2024 के लोकसभा चुनाव में NCP के खराब प्रदर्शन के बिल्कुल विपरीत था, जिसमें पार्टी को राज्य में चार में से केवल एक सीट मिली थी। अजित पवार ने बारामती से अपने भतीजे और NCP (एसपी) के उम्मीदवार युगेंद्र पवार को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया। NCP प्रमुख 2019 से तीन बार उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। वर्ष 2014 से पहले कांग्रेस-NCP शासन में भी वह दो बार इस पद पर रहे। अजित पवार शरद पवार के बड़े भाई दिवंगत अनंत पवार के बेटे हैं।

पीएम बनने से चुके

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शरद पवार की पार्टी की हार और राज्य की पूरी राजनीतिक स्थिति को देखते हुए शरद पवार को फिलहाल बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। साल 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार भारत के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे। हालांकि, दिवंगत पीएम राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी उम्मीदें अधूरी रह गई। कांग्रेस ने नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बना दिया, जबकि पवार को देश का रक्षामंत्री बनाया गया।

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हालांकि, फिर 1993 में उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में वापस भेज दिया गया और वह चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। साल 1999 में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी से मतभेद के बाद शरद पवार ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया। लेकिन बाद में उनके भतीजे अजित पवार ने असली NCP पर कब्जा कर लिया। विधायी संख्याबल के आधार पर अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को NCP का नाम और उसका 'घड़ी' चुनाव चिह्न दिया गया, जो शरद पवार गुट के लिए एक बड़ा झटका था। शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार को भी नहीं संभाल पाए।

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