देश के बंटवारे के समय महात्मा गांधी ने ‘सरहदी गांधी’ खान अब्दुल गफ्फार खान को यह आश्वासन दिया था कि ‘‘यदि आप के साथ अन्याय हुआ या आपका दमन हुआ तो भारत आपके लिए लड़ेगा।’’
देश के बंटवारे के समय महात्मा गांधी ने ‘सरहदी गांधी’ खान अब्दुल गफ्फार खान को यह आश्वासन दिया था कि ‘‘यदि आप के साथ अन्याय हुआ या आपका दमन हुआ तो भारत आपके लिए लड़ेगा।’’
पर ऐसा नहीं हो सका। देश के बंटवारे के समय पख्तूनिस्तान के शासक ने भारत के साथ रहने की इच्छा प्रकट की थी। पर, उसके आग्रह को भारत सरकार ने ठुकरा दिया। उसके बाद गफ्फार खान ने गांधी जी से कहा था कि ‘‘आपने हमें भेड़ियों के सामने फेंक दिया।’’ बादशाह खान बलूचिस्तान और सीमा प्रांत के बड़े कांग्रेसी नेता थे।
उनका 6 फरवरी, 1890 को जन्म हुआ था। निधन 20 जनवरी, 1988 को हुआ। आज भी पख्तूनिस्तान में अस्त-व्यस्त है। वैसे तो अब पूरे पाकिस्तान में अफरा तफरी है, किंतु पख्तूनिस्तान के लोग तो दशकों से परेशान रहे हैं। खुद गफ्फार खान लंबे समय तक पाक जेल में रहे।वे आजादी की लड़ाई के दौरान 15 साल तक अंग्रेजों के जेलों में रहे थे।
सन 1969 में गफ्फार खान उर्फ बादशाह खान भारत आए थे। उस समय भी उन्होंने उस बात की याद दिलाई कि किस तरह कांग्रेस नेतृत्व ने हमारे साथ धोखा किया। बादशाह खान ने कहा कि ‘यदि कांग्रेस ने हमें थोड़ा भी इशारा किया होता कि वह हमें छोड़ देगी तो हम अंग्रेजों से या जिन्ना से अपने प्रदेश के लिए बहुत फायदेमंद शत्र्तें मनवा लेते। किंतु कांग्रेस ने हमें भेड़ियों के सामने फेंक दिया। ब्रिटिश सरकार ने हमें कांग्रेस से अलग करने की बहुत कोशिश की। मगर हमने कांग्रेस छोड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने हमसे यहां तक कहा कि यदि हम कांग्रेस से अलग हो जाएंगे तो वे हमें दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक अधिकार देंगे। लेकिन हम नहीं माने। हम दो चेहरे वाले धोखेबाज नहीं थे। हमने उनसे साफ कह दिया कि हम अपने साथियों को दगा नहीं देंगे।’
गफ्फार खान ने यह भी कहा कि ‘जिन्ना साहब ने भी हमें फुसलाने की कोशिश की थी। हमने उनसे भी यही कहा।’ बंटवारे के समय की हलचलों की चर्चा करते हुए बादशाह खान ने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में मैंने और गांधी जी ने अंत तक देश के बंटवारे का विरोध किया। किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। 1969 में जब गफ्फार खान भारत आए थे तो उन्होंने यहां के तब के सत्ताधारियों से यह सवाल किया कि ‘गांधी जी ने हमसे जो वायदा किया था, उसके अनुसार क्या हमारी मदद करना आपकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं है ?’
गांधी जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने बादशाह खान को भारत बुलाया था। यहां आने के बाद बादशाह खान ने कहा कि ‘मैं खुद को इस मुल्क का एक हिस्सा मानता हूं। इसलिए मैंने यहां जो देखा,उससे मुझे दुख हुआ।’
याद रहे कि उन दिनों गुजरात में बड़े साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। बादशाह खान ने तब 24 नवंबर 1969 को भारतीय संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया। उन्हें सन 1987 में ‘भारत रत्न’ की उपाधि दी गई। बादशाह खान के अनुसार,‘जब मैं भारत के लिए निकल रहा था तो हमारे कुछ कार्यकर्ता मुझसे बोले, ‘देखिए,गुजरात में क्या हो रहा है! और फिर भी आप हिन्दुस्तान जाना चाहते हैं ?’
मैंने उन्हें जवाब दिया, ‘मैं इसी का विरोध करने हिन्दुस्तान जा रहा हूं। मैं वहां जाऊंगा लोगों से यही पूछने कि यह कैसे हुआ कि आप गांधी जी को इतनी जल्दी भूल गए ?’ भारत आने के बाद से, पिछले छह सप्ताह से मैं सिर्फ यही काम कर रहा हूं, बादशाह खान ने कहा था। 1969 में एक साप्ताहिक पत्रिका ने बादशाह की भारत यात्रा को लेकर लिखा कि लगा कि नक्कालों की दुनिया में एक असली इंसान आ गया है।
गफ्फार खान ने यहां पाया कि गांधी जी की रोशनी में दमकने वाले हिन्दुस्तान की इंसानियत का मुलम्मा उतर चुका है, सेवा भाव गायब हो चुका है। खुदगर्जी बढ़ गई है। फूट की बेलें नफरत के फूलों से लदी हुई हैं। बादशाह खान ने यह भी महसूस किया कि बड़े-बड़े शहरों की प्रगति हिन्दुस्तान की प्रगति नहीं है। गांवों की भी प्रगति होनी चाहिए।
हमारे देश के नेताओं और कर्णधारों को यह कत्तई उम्मीद नहीं थी कि जिस नेता को सम्मानित करने के लिए पाकिस्तान से बुलाए हैं,वह कृतज्ञता ज्ञापन की जगह उनकी बुराइयों पर अंगुली उठाएगा।
लेकिन राष्ट्रीयता, सच्चाई और इंसानियत के लिए अपनी जिंदगी को कुर्बान कर देने वाले उस फकीर ने तीखी भाषा में उन सारी बुराइयों की तरफ इशारा किया जिसको सुनने के लिए बहुत से लोग मानसिक तौर पर यहां तैयार नहीं रहे होंगे।
याद रहे कि बादशाह खान ने, जो कई हफ्ते तक भारत में रहे,देश के विभिन्न हिस्सों को दौरा किया।
एक नेता ने बादशाह खान से कहा कि आगरा में महात्मा गांधी,जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री की मूर्तियां लगाई जा चुकी हैं।यह सुनते ही बादशाह खान कहा कि ‘दिखावे के ऐसे कामों में मेरी दिलचस्पी नहीं।गांधी जी की मूर्ति लगाना और उनके रास्ते पर न चलना अजीब बातें हैं।’
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।