देश के उन तीन बड़े नेताओं सी. राज गोपालाचारी, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी प्रधानमंत्री नेहरू ने अपने प्रथम मंत्रिमंडल का सदस्य बनाया था। जबकि इन लोगों ने 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में हिस्सा नहीं लिया था। उलटे उन नेताओं ने उस आंदोलन का विरोध किया था। इनके अलावा जिन्ना और सावरकर भी भारत छोड़ो आंदोलन से अलग थे। 7 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक मुंबई के गोवलिया टैंक के मैदान में हुई थी। उस बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पास किया और ‘करो या मरो’ का नारा दिया गया।