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राम राज्य आ रहा है, मतभेद त्याग कर सभी भारतीय एकजुट रहें: मोहन भागवत

RSS प्रमुख ने कहा कि यह सर्वविदित है कि राम सर्वव्यापी हैं तथा हमें अपने बीच ही समन्वय करना होगा। उन्होंने कहा कि धर्म का पहला सत्य आचरण ही एकजुट रहना है। भागवत ने कहा कि करुणा दूसरा आचरण है। उन्होंने लोगों से कहा कि जो कुछ भी अर्जित किया जाता है उसका न्यूनतम हिस्सा अपने लिए रख कर शेष को परमार्थ के लिए देना चाहिए

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 22, 2024 पर 5:56 PM
राम राज्य आ रहा है, मतभेद त्याग कर सभी भारतीय एकजुट रहें: मोहन भागवत
Ayodhya Ram Mandir Inauguration: सोमवार को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई

Ayodhya Ram Mandir Inauguration: राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को भगवान राम (Mohan Bhagwat) के बाल स्वरूप के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपने संबोधन में कहा कि राम राज्य आ रहा है। इसलिए देश में सभी को मतभेद त्याग कर एकजुट रहना चाहिए। सोमवार को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और इसे लाखों लोगों ने अपने घरों और देशभर के मंदिरों में टेलीविजन पर लाइव देखा।

अयोध्या में श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद मंदिर परिसर में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अकेले ही तप किया है और अब हम सभी को यह करना है।" भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ साथ भारत का आत्म गौरव भी लौटा है। उन्होंने कहा, "आज का कार्यक्रम नए भारत का प्रतीक है जो खड़ा होगा और पूरी दुनिया की मदद करेगा।"

उन्होंने कहा कि राम लला 500 साल बाद कई लोगों की तपस्या की वजह से वापस लौटे हैं। मैं उन लोगों के कठोर परिश्रम और त्याग को शत शत नमन करता हूं। भागवत ने कहा, "लेकिन राम क्यों गए ? वह इसलिए गए क्योंकि अयोध्या में कलह थी। राम राज्य आ रहा है और हमें सभी मतभेद त्याग कर, कलह खत्म कर छोटे छोटे मुद्दों पर लड़ना झगड़ना बंद करना होगा। हमें अपना अहंकार त्यागना होगा और एकजुट रहना होगा।"

RSS प्रमुख ने कहा कि यह सर्वविदित है कि राम सर्वव्यापी हैं तथा हमें अपने बीच ही समन्वय करना होगा। उन्होंने कहा कि धर्म का पहला सत्य आचरण ही एकजुट रहना है। भागवत ने कहा कि करुणा दूसरा आचरण है। उन्होंने लोगों से कहा कि जो कुछ भी अर्जित किया जाता है उसका न्यूनतम हिस्सा अपने लिए रख कर शेष को परमार्थ के लिए देना चाहिए।

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