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सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को मिनरल्स पर रॉयल्टी वसूलने की इजाजत दी, फैसले से माइनिंग कंपनियों और केंद्र को झटका

सुप्रीम कोर्ट ने मिनरल्स पर रॉयल्टी से जुड़े मामले में 25 जुलाई को फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने इस मामले में फैसला दिया। पीठ के 8 जजों की राय इस फैसले के पक्ष में थी। एक जज की राय अलग थी। पीठ ने कहा कि राज्य सरकारों को मिनरल्स पर रॉयल्टी वसूलने का अधिकार है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 25, 2024 पर 12:57 PM
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को मिनरल्स पर रॉयल्टी वसूलने की इजाजत दी, फैसले से माइनिंग कंपनियों और केंद्र को झटका
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एमएमडीआर एक्ट, 1957 के तहत मिनरल्स पर चुकाई जाने वाली रॉयल्टी टैक्स नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने मिनरल्स की रॉयल्टी पर एक बड़ा फैसला सुनाया है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने खनिजों पर सेस वसूलने के राज्य सरकारों के अधिकारों को सही ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ के 8 जज इस फैसले के पक्ष में थे, जबकि एक जज की राय अलग थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने माइनर्स और केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी। इसमें खनिजों पर रॉयल्टी वसूलने के राज्य सरकारों के अधिकारों को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में कहा कि मिनरल्स पर रॉयल्टी वसूलना राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र के तहत आता है। माइंस एंड मिनरल्स (डेवलेपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट (MMDR Act) के तहत मिनरल्स पर रॉयल्टी वसूलने के वास्ते राज्य सरकारों के लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है। देश के सबसे बड़े कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य की विधायिका को जमीन पर टैक्स लगाने का विधायी अधिकार है। इसमें खनिज वाली जमीन भी शामिल है। जमीन से निकलने पर खनिज पर टैक्स लगाया जा सकता है।

माइनिंग कंपनियों ने राज्य के अधिकार पर उठाए थे सवाल

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