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आरोपी और पीड़ित पक्ष के बीच में हो गया समझौता, तो भी रद्द नहीं हो सकता यौन उत्पीड़न का केस, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

जस्टिस सीटी रविकुमार और पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाया और कहा, "आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया गया है और खारिज कर दिया गया है, FIR और आपराधिक कार्यवाही कानून के अनुसार आगे बढ़ाई जाएगी।" बेंच ने साफ किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 07, 2024 पर 12:58 PM
आरोपी और पीड़ित पक्ष के बीच में हो गया समझौता, तो भी रद्द नहीं हो सकता यौन उत्पीड़न का केस, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
आरोपी और पीड़ित पक्ष के बीच में हो गया समझौता, तो भी रद्द नहीं हो सकता यौन उत्पीड़न का केस, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि यौन उत्पीड़न के मामले को इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता कि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच 'समझौता' हो गया है। शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें आरोपी और पीड़िता के बीच समझौते के आधार पर यौन उत्पीड़न के मामले को रद्द कर दिया गया था।

Bar&Bench के मुताबिक, जस्टिस सीटी रविकुमार और पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाया और कहा, "आक्षेपित आदेश को रद्द कर दिया गया है और खारिज कर दिया गया है, FIR और आपराधिक कार्यवाही कानून के अनुसार आगे बढ़ाई जाएगी।"

बेंच ने साफ किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

फैसला पिछले साल अक्टूबर में सुरक्षित रखा गया था और यह इस सवाल से जुड़े मामले में आया था कि क्या हाई कोर्ट के पास CrPC की धारा 482 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, शिकायतकर्ता और आरोपी दोनों के बीच समझौते के आधार पर यौन उत्पीड़न के मामले को रद्द करने की शक्ति है।

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