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Bihar Chunav 2025: बिहार की अजब-गजब कहानी! 6 करोड़ में बना पुल, लेकिन इस्तेमाल नहीं कर पा रहे लोग, वजह जान हो जाएंगे हैरान

Bihar Election 2025: इस पुल को एक नदी के ऊपर बनाया गया था। करीब 50,000 आबादी बहुल इस गांवों के साथ-साथ पूरे इलाके की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए साल 2020 में इसका का निर्माण हुआ था। लेकिन दोनों साइड में पुल तक पहुंचने के लिए बनाई गई सड़कें अभी तक बन नहीं पाई हैं। इसके कारण लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Oct 09, 2025 पर 8:58 PM
Bihar Chunav 2025: बिहार की अजब-गजब कहानी! 6 करोड़ में बना पुल, लेकिन इस्तेमाल नहीं कर पा रहे लोग, वजह जान हो जाएंगे हैरान
Bihar Election 2025: बिहार से पुल एवं ब्रिज की अजब-गजब खबरें सामने आती रहती हैं

Bihar Elections 2025: बिहार के कटिहार जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां गांव तक पहुंचने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर नदी पर एक पुल तो बना दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी ग्रामीण नाव से आने-जाने को मजबूर हैं। दरअसल, पुल तक पहुंचने के लिए उसके दोनों साइड में बन रहीं सड़कों का काम अभी तक पूरा ही नहीं हो पाया है। इसके कारण बाढ़ के समय ये इलाका पानी से लबालब हो जाता है और लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत लगभग 6 करोड़ रुपये की लागत से इस पुल का निर्माण किया गया था।

NDTV के मुताबिक, काम शुरू होने के चार साल बाद भी इस पुल का कोई भी इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। क्योंकि इसे स्थानीय सड़क नेटवर्क से जोड़ने वाला रूट कभी पूरा ही नहीं हुआ। बिहार के कटिहार जिले के दंडखोदा प्रखंड में स्थित पसांत पुल दूर से देखने पर किसी भी अन्य सरकारी ब्रिज जैसा दिखता है। इसका उद्देश्य बाढ़ पीड़ित गांवों को राहत देना था। इससे आस-पास के लगभग 10-12 गांवों के निवासियों को जिला मुख्यालय तक पहुंचाना था। ऐसे पुल से लंबी दूरी तय करने वाली यात्राएं कम हो जाती हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस पुल को एक नदी के ऊपर बनाया गया था। करीब 50,000 आबादी बहुल इस गांवों के साथ-साथ पूरे इलाके की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए साल 2020 में इसका का निर्माण हुआ था। लेकिन दोनों साइड में पुल तक पहुंचने के लिए बनाई गई सड़कें अभी तक बन नहीं पाई हैं। इसके कारण लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।

पुल का काम 3 सितंबर, 2020 को शुरू हुआ था। ठेकेदारों को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए 2 सितंबर, 2021 तक का डेडलाइन दिया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल बनकर तैयार दिख रहा हैं। लेकिन भूमि अधिग्रहण का काम पूरा न होने के कारण अगल-बगल की सड़कें कभी नहीं बन पाईं।

ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) निजी भूमि अधिग्रहण के बिना ही तैयार कर ली गई थी। इसके बावजूद इसका काम जारी रहा। निवासियों का कहना है कि इस निर्णय की वजह से पुल एक सफेद हाथी बनकर रह गया है। कटिहार के जिला अधिकारी मनीष मीणा ने समस्या को स्वीकार किया। उन्होंने चैनल से कहा कि वह मामले की जांच करेंगे।

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