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इस किसान ने लगाया तगड़ा जुगाड़, 20 साल से नहीं खरीदा सिलेंडर, धुआंधार जल रहा है चूल्हा

Biogas Plant: देश में रसोई गैस के दाम बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में बहुत से लोग इस महंगाई से निपटने के लिए अन्य दूसरे उपाय किए हैं। महाराष्ट्र के सोलापुर के एक गांव के रहने वाले एक किसान ने गोबर गैस का का इस्तेमाल शुरू कर दिया। इससे किसान को बिजली और गैस के झंझट से मुक्ति मिल गई

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 23, 2025 पर 3:33 PM
इस किसान ने लगाया तगड़ा जुगाड़, 20 साल से नहीं खरीदा सिलेंडर, धुआंधार जल रहा है चूल्हा
Biogas Plant: सोलापुर के किसान नागेश ननवरे ने 6000 रुपये में गोबर गैस यूनिट बनाकर सालाना 12000 रुपये की बचत की।

रोजाना देश से एक नया टेलेंट निकलकर आ रहा है। सबसे ज्यादा इनोवेशन कृषि के क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। वहीं घरेलू गैस की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में इससे निपटने के लिए कई लोगों ने शानदार उपाय किए हैं। ये कुछ ऐसे उपाय है, जिसे सुनकर आप भी यह जुगाड़ लगा सकते हैं। महाराष्ट्र के सोलापुर के एक किसान ने गोबर गैस से ही करीब 20 साल से खाना बना रहे हैं। उन्होंने दो दशक से गैस सिलेंडर नहीं खरीदा है। सोलापुर जिले के बिबिदरफाल के नागेश अर्जुन ननवरे ने बेहद कम पैसों में यह जुगाड़ फिट कर दिया।

लोकल 18 में छपी खबर के मुताबिक, किसान ने सिर्फ 6,000 रुपये खर्च कर रसोई गैस की समस्या का हमेशा के लिए समाधान कर लिया है। किसान पिछले 20 साल से गोबर गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं। रोजाना तीन बार का खाना इस गोबर गैस से मिलने वाले ईंधन पर बनता है।

सालाना 12,000 रुपये की होती है बचत

लोकल 18 से बातचीत करते हुए बिबिदरफाल के किसान नागेश ननवरे कहा कि वो पिछले 20 साल से घर में गोबर गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं। रोजाना तीन बार का खाना इसी गोबर गैस से बनता है। घरेलू सिलेंडर की कीमतों को देखते हुए, नागेश ननवरे सालाना 12,000 रुपये तक की बचत कर रहे हैं। जिन किसानों के पास जानवर हैं। वे गोबर से गैस बनाकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। गोबर गैस बनाने के लिए 20 किलो गोबर और 70 लीटर पानी की जरूरत होती है। इससे रोजाना 6 लोगों का खाना बन सकता है। इसके अलावा, गैस बनने के बाद बची स्लरी को खेत में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। नागेश पहले पुराने तरीके से गोबर गैस बनाते थे। अब वो नई टैक्नोलॉजी के जरिए गोबर गैस बनाने लगे हैं। इससे लागत भी कम हो गई है।

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