भारतीय पर्यटकों को ब्रिटेन जाने के लिए वीजा का लंबा इंतजार करना होता है लेकिन अब ब्रिटिश नागरिकों को भी अब ऐसी स्थिति से गुजरना पड़ सकता है। ब्रिटिश नागरिकों को अब भारत की यात्रा के लिए वीजा हासिल करने में अधिक समय लग सकता है। ब्रिटेन में भारतीय हाई कमीशन अब एक नियम को लागू कर रही है।
इसके तहत ब्रिटिश नागरिकों को वीजा केंद्रों पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा जिसके चलते उन्हें वीजा मिलने में समय बढ़ सकता है। इससे पहले ट्रैवल एजेंट्स वीजा की प्रोसेसिंग बैच में करते थे। इसके चलते वीजा कम समय में मिल जाता था।
भारतीय हाई कमीशन ने इसलिए लागू किया नियम
हाई कमीशन का कहना है कि यह नियम इसलिए लागू किया जा रहा है क्योंकि ट्रैवल एजेंट्स भारत की यात्रा के लिए निकलने वाले यात्रियों से वीजा प्रोसेसिंग के लिए मनमानी पैसे न वसूल सकें। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस नियम के चलते ब्रिटिश पर्यटकों की भारत यात्रा से जुड़ी योजनाओं को झटका लगा है।
भारतीय हाई कमीशन ने इन दावों को खारिज कर दिया है कि इसे एकाएक लागू किया जा रहा है। हाई कमीशन के मुताबिक यह नियम पहले से ही था। हाई कमीशन ने कहा कि लंदन में सिर्फ वीएफएस ग्लोबल सेंटर्स ही मान्य आउटसोर्सिंग प्रोवाइडर है जो ब्रिटेन में भारत के लिए वीजा/पासपोर्ट और काउंसलर सर्विसेज मुहैया कराती है।
भारतीयों को भी इसी तरह यहां लगता है समय
ब्रिटिश पर्यटकों को वीजा में लगने वाला यह समय उसी प्रकार है जिस प्रकार भारतीयों को ब्रिटेन की यात्रा पर जाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। भारत में ब्रिटेन के हाई कमिश्नर Alex Ellis इस बात के लिए भारतीय नागरिकों से माफी भी मांग चुके हैं और उन्होंने वीजा हासिल करने के बाद ही एयरलाइन टिकट खरीदने का सुझाव दिया था।
इन-पर्सन रूल लागू होने के बाद अब सैकड़ों ब्रिटिशर्स की छुट्टी की योजनाओं को झटका लगा है। वे लंबे समय से क्विक वीजा अप्रूवल्स का इस्तेमाल करते रहे हैं जिसके जरिए वे कुछ ही हफ्ते में वीजा हासिल कर भारत आ जाते थे।
सोशल मीडिया पर ब्रिटिश गृह सचिव को बताया जा रहा जिम्मेदार
सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स का कहना है कि इन-पर्सन वीजा एप्लीकेशंस पर जोर देने का कारण ब्रिटेन की गृह सचिव सुएला ब्रेवरमेन की भारतीय प्रवासियों पर टिप्पणी हो सकती है। ब्रेवरमैन ने भारतीयों के बारे में कहा था कि वीजा हासिल करने के बाद ब्रिटेन में सबसे अधिक समय तक रहने वालों यानी ओवरस्टे करने वालों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है।