Electoral Bonds Scheme Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को चुनावी बांड जारी करना तुरंत बंद करने और 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सभी डिटेल्स जमा करने का निर्देश दिया। चुनाव आयोग SBI से जानकारी प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर दान देने वालों के नामों को सार्वजनिक कर देगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि SBI सभी पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को दे। फिर चुनाव आयोग 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे। अभी जो बांड कैश नहीं हुए राजनीतिक दल उसे बैंक को वापस करें।
दूरगामी परिणाम वाले इस ऐतिहासिक फैसले में भारतीय स्टेट बैंक को 6 वर्ष पुरानी योजना में दान देने वालों के नामों की जानकारी निर्वाचन आयोग को देने के निर्देश दिए गए। इसमें कहा गया कि जानकारी में यह भी शामिल होना चाहिए कि किस तारीख को यह बॉन्ड भुनाया गया और इसकी राशि कितनी थी। साथ ही पूरा डिटेल्स 6 मार्च तक निर्वाचन आयोग के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।
13 मार्च तक सार्वजनिक होंगे नाम
पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग को SBI द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करनी चाहिए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए। इस फैसले को केंद्र सरकर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
CJI ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है। फैसले में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और आयकर कानूनों सहित विभिन्न कानूनों में किए गए संशोधनों को भी अवैध ठहराया गया।
SBI को 12 अप्रैल 2019 से सार्वजानिक करनी होगी जानकारी
फैसले में कहा गया कि संबद्व बैंक चुनावी बॉन्ड जारी नहीं करेगा और SBI 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड के ब्योरे निर्वाचन आयोग को देगा। शीर्ष अदालत ने पिछले वर्ष दो नवंबर में इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है।
चुनावी बॉन्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था। इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था।
योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है।