पूरी दुनिया में बढ़ रही है बहरेपन की समस्या, जानिए क्या है वजह और कैसे करें बचाव

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में करीब 45 करोड़ लोग या दुनिया की कुल आबादी के 5 फीसदी लोगों को सुनने में कुछ न कुछ परेशानी की समस्या है। WHO का अनुमान है कि साल 2050 तक पूरी दुनिया में 70 करोड़ यानी हर 10 में से एक आदमी को कम सुनाई पड़ने की शिकायत हो सकती है। यह एक चिंता का विषय है

अपडेटेड Mar 05, 2023 पर 11:02 AM
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इन दिनों पूरी दुनिया में बहरेपन की समस्या बढ़ती जा रही है

Hearing Day: आज कल कम सुनाई पड़ने की समस्याएं बढ़ती जा रही है। आमतौर पर हमारे आस पास लोग भी कहते होंगे कि उन्हें टीवी की आवाज कम सुनाई दे रही है। वहीं सामान्य तरीके से बातचीत करने पर भी अक्सर लोग ये कहते सुने जाते हैं कि आपकी बात मैं सुन नहीं पाया। फिर से दोहराइये। इस मामले में चीन में हुई एक रिसर्च से पता चलता है कि साल 2015 में हॉन्गकॉन्ग की लगभग 2.2 फीसदी आबादी में किसी न किसी तरह की सुनाई न देने की समस्या थी।

वहीं साल 2021 में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization – WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में करीब 45 करोड़ लोग या दुनिया के कुल आबादी की 5 फीसदी लोगों को सुनने में कुछ न कुछ परेशानी होती है। WHO का एक अनुमान है साल 2050 तक पूरी दुनिया में 70 करोड़ यानी हर 10 में से एक आदमी को कम सुनाई पड़ने की शिकायत हो सकती है। यह एक चिंता का विषय है।

बढ़ सकती हैं कई समस्याएं


हियरिंग लॉस से जुड़ी जो स्टडी हुई है। उससे यह निकलकर आया है कि इससे पीड़ित को कम सुनाई पड़ने के साथ ही उसके जीवन की गुणवत्ता पर तमाम बुरे असर पड़ते हैं। ऐसे लोग अलग-थलग पड़ जाते हैँ। जिसकी वजह से उनमें अवसाद (डिप्रेशन) पैदा होता है। इसके साथ ही मांसपेशियों में तनाव, सिरदर्द, और पुरानी टिनिट (Tinnitus - कान में घंटी बजने की आवाज) जैसी दूसरी समस्याएं भी हो सकती हैं। अमेरिका के मेरीलैंड स्थित जॉन्स हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ (Johns Hopkins Bloomberg School of Public Health) की एक स्टडी से पता चलता है कि ऐसे बुजुर्ग लोग जिनमें कम सुनाई पड़ने की ज्यादा गंभीर समस्या होती है। उनको डाइमेंशिया (dementia) होने की ज्यादा संभावना रहती है।

इस स्टडी से ये भी पता चलता है कि जो लोग कम सुनाई पड़ने पर हियरिंग ऐड (hearing aid) का उपयोग करते हैं। उनमें हियरिंग ऐड का इस्तेमाल न करने वालों की तुलना में डाइमेंशिया की समस्या कम होती है।

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कम सुनाई पड़ने की समस्या कब आती है?

कम सुनाई पड़ने की समस्या पैदा होने के कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर माना जाता है कि बढ़ती उम्र के साथ यह समस्या आती है। लेकिन ताजे स्टडी से यह पता चलता है कि यह समस्या कभी भी और किसी भी उम्र में हो सकती है। हॉन्ग कॉन्ग स्थिति हिल मेडिकल के डॉक्टर Dr Jacky Wong Ka-fai का कहना है कि बहरेपन की समस्या एकाएक या धीरे-धीरे किसी भी तरीके से आ सकती है। यह आपके किसी एक या दोनों कान का प्रभावित कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि बहरेपन के सबसे आम कारणों में बढ़ती उम्र, जरूरत से ज्यादा तेज आवाज में रहना और कई दवाओं के साइड इफेक्ट हो सकते हैं।

बढ़ा सकता है हमेशा के लिए बहरापन?

वहीं हॉन्ग कॉन्ग के इंटीग्रेटेड मेडिसिन इंस्टीट्यूट (Integrated Medicine Institute in Hong Kong) की डॉक्टर Monica Xu का कहना है कि हियरिंग लॉस का सबसे कॉमन टाइप सेंसोरिन्यूअल हियरिंग लॉस (Sensorineural hearing loss) को माना जाता है। यह धीरे-धीरे शुरू होकर स्थाई बहरापन पैदा कर सकता है।

कैसे बढ़ती है बहरेपन की समस्या?

जानकारों का कहना है कि ऐसे लोग जो फैक्ट्रियों में काम करते हैं। कंस्ट्रक्शन साइट या इसके आसपास रहते हैं, म्यूजिसिएंस, उनको इस तरह की हियरिंगलॉस की सबसे ज्यादा संभावना रहती है। हालांकि यह किसी भी ऐसे व्यक्ति को हो सकती है। जो हेडफोन, ईयरबड जैसे उपकरणों के जरिए बहुत तेज म्यूजिक सुनते हैं। इसके अलावा हमारे पर्यावरण में भी घुला जहर बहरेपन की समस्या बन सकती है। सिगरेट की धुएं में तमाम ऐसे जहरीले पदार्थ होते हैं। जिनसे हमारे कानों को नुकसान पहुंच सकता है। सिगरेट में टालुईन, बेंजीन और कार्बन मोनो अक्साइड (toluene, benzene and carbon monoxide) जैसे जहरीले पदार्थ पाए जाते हैं। जिससे बहरापन पैदा होता है। जानकारों का कहना है कि म्यूजिक सुनते समय ऐसे हेडफोन का चुनाव करना चाहिए जो कान के ऊपरी हिस्से से जुड़ते हैं। इसके अलावा बहेपन से बचने के लिए धूम्रपान से भी बचना चाहिए।

कैसे करें बचाव

डॉक्टरों का कहना है कि अपने सुनने की क्षमता को बचाए रखने के लिए अपने डायबिटीज, हाइपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे बीमारियों को कंट्रोल में रखें। डॉक्टरों का ये भी कहना है कि हमारे कान में प्राकृतिक रूप से खुद ही सफाई कर लेने की क्षमता होती है। ऐसे में कान में कोई कॉटन बड या कोई बाहरी चीज से खूंट निकालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जब कान से वैक्स (खूंट) निकालने की कोशिश की जाती है तो हम अनजाने में ही इस वैक्स को कान के अंदर धकेल देते हैं। यह वैक्स कान के ज्यादा संवेदनशील हिस्सों और ईयरड्रम में चिपक सकता है। जिससे इन्फेक्शन हो सकता है। ऐसे में ध्यान रखें कि कॉटन बड से कान की सफाई करना आपके फायदेमंद कम नुकसानदेह ज्यादा हो सकता है।

ध्यान रखें कि कान में ईयरवैक्स होना पुअर हाइजिन का लक्षण नहीं है। ईयरवैक्स (खूंट) कान में होने वाला एक प्राकृतिक तैलीय रिसाव है। जो कान के आंतरिक हिस्से को ज्यादा शुष्क होने से बचाता है। साथ ही ये बाहर से आने वाले संक्रामक पदार्थों को बीच में ही रोक लेता है। जिससे संक्रमण फैलाने वाले तत्व आपके कान के आंतरिक हिस्से में नहीं जा पाते हैं और कान सुरक्षित रहता है। अगर किसी के कान में ज्यादा वैक्स निकलता है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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