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Ratan Tata Life Changing Adoption: गोद लेने का एक फैसला, बदल गई टाटा ग्रुप की तकदीर, 116 साल पुराना है मामला

टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने बुधवार रात 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 86 साल के थे। रतन टाटा अपने पीछे कॉरपोरेट जगत में एक शानदार विरासत छोड़ गए हैं। उन्होंने अपनी अगुआई में टाटा ग्रुप को देश के सबसे बड़े और प्रभावशाली कॉरपोरेट घराने में बदल दिया। उन्होंने अपने नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित सौदे किए

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Oct 10, 2024 पर 4:00 PM
Ratan Tata Life Changing Adoption: गोद लेने का एक फैसला, बदल गई टाटा ग्रुप की तकदीर, 116 साल पुराना है मामला
नवल टाटा को अपनी पहली पत्नी सूनी कमिसरियट से दो बेटे हुए - रतन टाटा और जिमी टाटा। हालांकि बाद में वह अपनी पहली पत्नी से अलग हो गए और सिमोन डनोयर से दूसरी शादी की, जिनसे उनका एक और बेटा नोएल टाटा हुआ।

टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने बुधवार रात 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 86 साल के थे। रतन टाटा अपने पीछे कॉरपोरेट जगत में एक शानदार विरासत छोड़ गए हैं। उन्होंने अपनी अगुआई में टाटा ग्रुप को देश के सबसे बड़े और प्रभावशाली कॉरपोरेट घराने में बदल दिया। उन्होंने अपने नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित सौदे किए, जिसने उन्हें भारतीय कॉरपोरेट जगत का एक प्रमुख चेहरा बनाते हैं। आज टाटा का नाम बिजनेस जगत में नहीं, बल्कि आम लोगों में भी भरोसे और विश्वास का प्रतीक है।

रतन टाटा की कारोबारी सफलताओं और परोपकारी कार्यों को देखते हुए, उनकी तुलना अक्सर जमशेदजी टाटा और जेआरडी टाटा से तुलना की जाती रही है। हालांकि बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि रतन टाटा के पिता नवल टाटा, टाटा बिजनेस फैमिली के दूर के रिश्तेदार थे। नवल टाटा 30 अगस्त 1904 को जन्मे थे।

नवल टाटा के पिता अहमदाबाद एडवांस मिल्स में स्पिनिंग मास्टर के रूप में काम करते थे। 1908 में, चार साल की उम्र में नवल ने अपने पिता को खो दिया, जिसके बाद उनकी मां उन्हें गुजरात के नवसारी ले गईं जहां उन्होंने गुजारा चलाने के लिए कढ़ाई का काम शुरू कर दिया।

नवल टाटा को बाद में जेएन पेटिट पारसी अनाथालय भेजा गया, जहां उन्हें सर रतनजी जमशेदजी टाटा की पत्नी नवाजबाई टाटा ने देखा। नवाजबाई ने 13 साल की उम्र में नवल को गोद लेने का फैसला किया। इसके बाद, नवल टाटा को औपचारिक शिक्षा दी गई और उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वे लंदन चले गए जहां उन्होंने अकाउंटिंग से जुड़े कोर्स में दाखिला लिया।

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