कतर (Qatar) ने जेल में बंद भारतीय नौसेना के उन 8 पूर्व कर्मियों को रिहा कर दिया है जिन्हें कथित रूप से जासूसी के एक मामले में पिछले साल अक्टूबर में फांसी की सजा सुनाई गई थी। रिहाई से 46 दिनों पहले उनकी मौत की सजा को कारावास में तब्दील किया गया था। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि रिहा किए गए 8 भारतीय नागरिकों में से 7 भारत लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत अपने नागरिकों की रिहाई तथा उनकी घर वापसी को संभव बनाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करता है। कतर से सोमवार को स्वदेश लौटे भारतीयों ने कहा कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बिना यह संभव नहीं था।
कतर से 8 भारतीय पूर्व नौसेना दिग्गजों की रिहाई पर विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा, "हम उनकी वापसी के लिए आभारी हैं। उन्हें रिहा करने के लिए हम कतर सरकार और अमीर के फैसले की सराहना करते हैं। हम उनमें से सात भारतीय नागरिकों को वापस पाकर खुश हैं। 8वें भारतीय नागरिक को भी रिहा कर दिया गया है और हम कतर सरकार के साथ काम करना जारी रखेंगे ताकि यह देखा जा सके कि उसकी भारत वापसी कितनी जल्दी संभव होगी। प्रधानमंत्री ने स्वयं व्यक्तिगत रूप से इस मामले में सभी घटनाक्रमों की लगातार निगरानी की।"
कतर के अमीर से पीएम मोदी ने की थी मुलाकात
कहा जा रहा है कि पिछले साल 1 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी (Tamim bin Hamad Al Thani) के बीच दुबई में हुई बैठक ने 8 भारतीय नौसेना के दिग्गजों की रिहाई का रास्ता साफ कर दिया था। इसे भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिसने रिहाई हासिल करने के लिए आधिकारिक और निजी दोनों संबंधों का इस्तेमाल किया। पीएम मोदी ने 1 दिसंबर को दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के इतर कतर के अमीर से मुलाकात की थी।
बैठक के बारे में पीएम ने कहा था, ''द्विपक्षीय साझेदारी की संभावना और कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर हमारी अच्छी बातचीत हुई।'' कहा जा रहा है कि पीएम मोदी की कतर के अमीर से हुई बातचीत में खाड़ी देश की जेल में बंद आठ भारतीय नौसेना के दिग्गजों का मुद्दा भी शामिल था। हालांकि अभी तक दोनों देशों में से किसी ने भी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
उस बैठक के बाद कई चीजें सकारात्मक रूप से आगे बढ़ीं क्योंकि कतर में भारतीय राजदूत को 3 दिसंबर को दिग्गजों तक कांसुलर पहुंच मिल गई और अदालत ने 28 दिसंबर को दिग्गजों की मौत की सजा को पलट दिया। उनकी रिहाई की घोषणा सोमवार को की गई। इससे पहले, पिछले साल 26 अक्टूबर को कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने अपील अदालत में सुनवाई शुरू होने से पहले उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।
कौन हैं रिहा किए गए भारतीय?
कैप्टन (रिटायर्ड) नवतेज गिल और सौरभ वशिष्ठ, कमांडर (रिटायर्ड) पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा, और सुगुनाकर पकाला और नाविक (सेवानिवृत्त) रागेश को सजा सुनाई गई थी। मामले से अवगत लोगों ने कहा कि तिवारी दोहा में ही रुके हैं। उनके जल्द ही भारत वापस आने की संभावना है। नौसेना के पूर्व कर्मियों को 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
खाड़ी देश की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम कर दिया था। पूर्व नौसैन्य कर्मियों को अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी। निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। अपीलीय अदालत ने मौत की सजा को कम करने के बाद भारतीय नागरिकों को उनकी जेल की सजा के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था।