कतर (Qatar) में कई महीनों की कष्टदायक कैद के बाद अपनी मातृभूमि में कदम रखते हुए 'जासूसी' के आरोप में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नौसेना के कर्मियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि उनके प्रयास के बिना वे कभी रिहा नहीं होते। कतर ने जेल में बंद उन 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा कर दिया है, जिन्हें करीब साढ़े तीन महीने पहले संदिग्ध जासूसी के एक मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। रिहा किए गए 8 भारतीयों में से 7 भारत लौट आए हैं। भारत ने अपने नागरिकों की रिहाई तथा उनकी घर वापसी को संभव बनाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना की है।
कतर से लौटे पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में से एक ने कहा, "हम बहुत खुश हैं कि हम सुरक्षित भारत वापस आ गए हैं। निश्चित रूप से, हम प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहेंगे, क्योंकि यह केवल उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप के कारण ही संभव हो सका।" एक अन्य ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारे लिए यहां खड़ा रहना संभव नहीं था, यह भारत सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण हुआ।"
पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में से एक ने कहा, "हमने भारत वापस आने के लिए लगभग 18 महीने तक इंतजार किया। हम प्रधानमंत्री के बेहद आभारी हैं। यह उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं होता। हम भारत सरकार द्वारा किए गए हर प्रयास के लिए तहे दिल से आभारी हैं, उन प्रयासों के बिना यह दिन संभव नहीं होता।"
नौसेना के पूर्व कर्मियों को 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। खाड़ी देश की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम कर दिया था। पूर्व नौसैन्य कर्मियों को अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी।
2022 में किया गया था गिरफ्तार
निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। न तो कतर के अधिकारियों और न ही भारत ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया। पिछले साल 25 मार्च को भारतीय नौसेना के 8 कर्मियों के खिलाफ आरोप दाखिल किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था।
अपीलीय अदालत ने मौत की सजा को कम करने के बाद भारतीय नागरिकों को उनकी जेल की सजा के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था। पिछले साल मई में अल-दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) देश लौट आए। भारत सजायाफ्ता व्यक्तियों के ट्रांसफर पर द्विपक्षीय समझौते के प्रावधानों को लागू करने की संभावना भी विचार कर रहा था।
भारत और कतर के बीच 2015 में हुए समझौते के तहत भारत तथा कतर के उन नागरिकों के अपने-अपने देश में सजा काटने का प्रावधान है जिन्हें किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है और सजा सुनाई गई है।