सनातन धर्म में करवा चौथ की पूजा काफी महत्वपूर्ण है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को ये व्रत मनाया जाता है। सुहागिन औरतें इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को पूजा करने के बाद चांद को अर्घ्य देकर ही व्रत पूरा होता है। करवा चौथ के व्रत को देश के कुछ कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। ऐसे में इस दिन शुभ महूर्त पर ही पूजा करना और व्रत तोड़ना जीवन में अमंगलकारी चीजों का नाश करता है। करवा चौथ का व्रत पति और पत्नी के अटूट रिश्ते का भी प्रतीक है। ये भी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत पूरी विधि से संपन्न करने पर सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।