बारिश के मौसम में अक्सर आसमानी बिजली गिरने के मामले सामने आते हैं। बादलों की तेज गड़गड़ाहट की आवाज सुनकर हर कोई डर जाता है। कभी-कभी यह बहुत खतरनाक हो जाती है और जमीन पर गिरने पर जानलेवा हो जाती है। यह जहां पर गिरती है, वहा तबाही मचा देती है। बारिश के दौरान अक्सर बादलों के बीच गड़गड़ाहट के साथ बिजली चमकती है। इसके गिरने से कभी इंसान घायल हो जाता है, तो कभी इसकी चपेट में आने से मौत हो जाती है। बारिश के मौसम में बिजली गिरने की घटना ज्यादा घटती है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर बादलों के बीच यह बिजली बनती कैसे है?
बादलों में मौजूद बहुत छोटे छोटे बर्फ के कण क्रिस्टल्स के रूप में होते हैं। ये आपस में घर्षण करने लगते हैं। इसी घर्षण से ये पानी के कण चार्ज हो जाते हैं। इनमें कुछ कण पॉजिटिव ऊर्जा के होते हैं और कुछ कण निगेटिव ऊर्जा के होते हैं। जब ये पॉजिटिव और निगेटिव ऊर्जा के कण आपस में टकराते हैं तो बिजली पैदा होती है। जब ये काफी मात्रा में टकराते हैं तो बिजली इतनी तेज चमकती है कि पूरा आसमान रोशन कर देता है।
दरअसल, बादलों की गरज तभी सुनाई देती है, जब बिजली कड़कती है। यानी बादलों के गरजने का पूरा श्रेय बिजली को जाता है। जब बादलों में बिजली बनती है तो उसकी वजह उनमें बेहद खतरनाक गर्मी पैदा होती है। ये गर्मी पूरे बादलों में तेजी से फैलती है। इनकी वजह से बादलों में मौजूद करोड़ों अणु एक साथ आपस में टकराने लगते हैं। इनके टकराने से खतरनाक गरज पैदा होती है। हालांकि, आपने नोटिस किया होगा कि आसमान में पहले हमें बिजली की चमक दिखाई देती है। फिर उसके बाद बादलों के गरजने की आवाज सुनाई देती है। इसकी वजह ये है कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से तेज होती है।
रेनबो क्या होता है और कैसे बनता है?
कई बार आसमान में एक 7 रंगों वाली सुंदर धनुष की आकृति देखने को मिलती है। इसे इंद्र धनुष या रेनबो कहा जाता है। आमतौर पर बारिश के दिनों में ही यह इंद्र धनुष दिखाई देता है। बरसात के दिनों में पानी की बूंदों से टकराकर सूर्य की किरणें 7 रंगों में बंट जाती हैं। यही रेनबो है। इसमें सफेद प्रकाश की किरण सात रंगों से मिलकर बनती है। ऐसे में जब सूर्य की किरणें पानी की करोड़ों छोटी बूदों से टकराती हैं तो अपने मूल सात रंगों में बंट जाती हैं। इस साइंटिफिक प्रोसेस को डिस्पर्शन ऑफ लाइट या प्रकाश की किरणों का बंटना कहते हैं।