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Mahakumbh 2025: 57 साल की बुजुर्ग महिला ने धरती चीरकर बहा दी आस्था की धारा, घर पर ऐसे आईं गंगा मैय्या

Mahakumbh 2025: आर्थिक तंगी के कारण 57 वर्षीय गौरी महाकुंभ नहीं जा सकीं, तो उन्होंने अपने आंगन में 40 फीट गहरा कुआं खोद डाला, इसे अपनी ‘गंगा’ मान लिया। रोज़ 6-8 घंटे मेहनत कर उन्होंने दो महीने में इसे पूरा किया। प्रशासन ने रोका, लेकिन हौसले से जीती बाज़ी। उनका संकल्प आत्मनिर्भरता की मिसाल है

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 22, 2025 पर 4:42 PM
Mahakumbh 2025: 57 साल की बुजुर्ग महिला ने धरती चीरकर बहा दी आस्था की धारा, घर पर ऐसे आईं गंगा मैय्या
Mahakumbh 2025: पैसों की तंगी बनी बाधा, लेकिन हौसले से जीती बाजी

सच्ची आस्था और दृढ़ निश्चय इंसान को असंभव को भी संभव बना देने की ताकत देते हैं। कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी की 57 वर्षीय गौरी ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया। आर्थिक तंगी के चलते जब वह प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में स्नान के लिए नहीं जा सकीं, तो उन्होंने हार मानने की बजाय अपनी श्रद्धा को एक नया रूप दे दिया। उन्होंने अपने ही घर के आंगन में 40 फीट गहरा कुआं खोद डाला। उनके लिए यह सिर्फ एक कुआं नहीं था, बल्कि उनकी अटूट आस्था का प्रतीक था।

गौरी का कहना है, "अगर मैं गंगा तक नहीं जा सकती, तो मैंने गंगा को अपने घर बुला लिया।" उनकी यह कहानी साबित करती है कि जब इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने से नहीं रोक सकती।

पैसों की तंगी बनी बाधा, लेकिन हौसले से जीती बाजी

गौरी का जीवन पूरी तरह खेती पर निर्भर है और उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। जब उन्हें पता चला कि महाकुंभ की यात्रा महंगी होगी और वह प्रयागराज नहीं जा पाएंगी, तो उन्होंने निराश होने के बजाय एक अनोखा फैसला लिया। 15 दिसंबर 2024 को उन्होंने अपने घर के आंगन में खुदाई शुरू की, बिना किसी की मदद लिए।

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