सच्ची आस्था और दृढ़ निश्चय इंसान को असंभव को भी संभव बना देने की ताकत देते हैं। कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के सिरसी की 57 वर्षीय गौरी ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया। आर्थिक तंगी के चलते जब वह प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में स्नान के लिए नहीं जा सकीं, तो उन्होंने हार मानने की बजाय अपनी श्रद्धा को एक नया रूप दे दिया। उन्होंने अपने ही घर के आंगन में 40 फीट गहरा कुआं खोद डाला। उनके लिए यह सिर्फ एक कुआं नहीं था, बल्कि उनकी अटूट आस्था का प्रतीक था।