महाकुंभ मेला हिंदूओं का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक मेला है। यह मेला प्रयागराज में शुरू हो चुका है। इसका दूसरा शाही स्नान भी खत्म हो गया है। इस बार शाही स्नान को अमृत स्नान कहा गया है। यह महाकुंभ मेला 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। महाकुंभ मेला 45 दिनों तक चलता है। कहा जाता है कि इसमें एक बार स्नान करने से भक्तों के सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह महाकुंभ 12 साल में लगता है। इसका तीसरा शाही स्नान अब 29 जनवरी को होगा।
कुंभ मेला हर तीन साल में एक एक बार उज्जैन, प्रयागराज, हरिद्वार और नासिक में आयोजित होता है। अर्ध कुंभ मेला 6 साल में एक बार हरिद्वार और प्रयागराज के तट पर लगता है। वहीं पूर्ण कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है, जो प्रयागराज में होता है। 12 कुंभ मेला पूर्ण होने पर एक महाकुंभ मेले का आयोजन होता है। इससे पहले महाकुंभ प्रयाराज में साल 2013 में आयोजित हुआ था।
महाकुंभ मेला 2025 में कब है शाही स्नान
महाकुंभ 2025 प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो चुका है। अब तक दो शाही स्नान हो चुके हैं। आइये जानते हैं इस बार कुल कितने शाही स्नान हैं और अगला शाही स्नान कब होगा।
13 जनवरी 2025: पौष पूर्णिमा (पहला शाही स्नान)
14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति (दूसरा शाही स्नान)
29 जनवरी 2025: मौनी अमावस्या (तीसरा शाही स्नान)
3 फरवरी 2025: बसंत पंचमी (चौथा शाही स्नान)
12 फरवरी 2025: माघ पूर्णिमा (पांचवा शाही स्नान)
26 फरवरी 2025: महाशिवरात्रि (अंतिम शाही स्नान)
मौनी अमावस्या का शाही स्नान बेहद
29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर स्नान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इसकी वजह ये है कि इस दिन पवित्र नदी के जल से किया स्नान आत्मा को शुद्ध करता है। ऐसे में महाकुंभ में पितरों का तर्पण करना चाहते हैं तो मौनी अमावस्या का दिन खास रहेगा। इस दिन संगम किनारे पितरों का श्राद्ध कर्म करने वालों के पितरों की आत्मा तृप्त रहती है। ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ में शाही स्नान के कुछ खास नियमों का पालन किया जाता है। महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं। नागा साधुओं को स्नान करने की प्राथमिकता सदियों से चली आ रही है। इसके पीछे एक धार्मिक मान्यता है। इसके अलावा गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों के लिए महाकुंभ में स्नान के नियम कुछ अलग हैं। गृहस्थ लोगों को नागा साधुओं बाद ही संगम में स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय 5 डुबकी जरूर लगाएं। तभी स्नान पूरा माना जाता है। स्नान के समय साबुन या शैंपू का इस्तेमाल न करें। इसकी वजह ये है कि इसे पवित्र जल को अशुद्ध करने वाला माना जाता है।
महाकुंभ में शाही स्नान-दान के बाद बड़े हनुमान और नागवासुकि का दर्शन जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि शाही स्नान के बाद इन दोनों में से किसी एक मंदिर के दर्शन करने से महाकुंभ की धार्मिक यात्रा अधूरी मानी जाती है।