सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान, ध्यान, पूजा, जप-तप और दान करना बेहद पुण्यदायी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु की कृपा साधकों पर बरसती है। श्रद्धालु इस अवसर पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए गंगा सहित विभिन्न पवित्र नदियों के तट पर बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान, जप और तप अक्षय फल प्रदान करता है।
पौष पूर्णिमा से महाकुंभ मेले की भी शुरुआत होती है, जो इसे और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। यह दिन धार्मिक साधना और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए विशेष रूप से पूजनीय है।
पौष पूर्णिमा 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, 2025 में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को सुबह 05:03 बजे प्रारंभ होकर 14 जनवरी को रात 03:56 बजे समाप्त होगी। चूंकि तिथि की गणना सूर्योदय से होती है, इसलिए पौष पूर्णिमा का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा। यह दिन धार्मिक अनुष्ठानों और स्नान-दान के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है।
महाकुंभ मेला और शाही स्नान
इस वर्ष पौष पूर्णिमा से महाकुंभ मेले की शुरुआत हो रही है। पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर, दूसरा 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर, तीसरा 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर, चौथा 2 फरवरी को वसंत पंचमी पर और अंतिम 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा।
पौष पूर्णिमा के दिन सुबह 07:15 से 10:38 तक रवि योग रहेगा, साथ ही भद्रावास योग का भी संयोग बनेगा। इन शुभ योगों में भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पूजा के दौरान साधक को अक्षय पुण्य और भगवान की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु को प्रणाम करें। स्नान के लिए गंगाजल का उपयोग करें और संभव हो तो गंगा स्नान करें। स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें और विष्णु चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें। इसके बाद सामर्थ्यानुसार दान करें।