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हफ्ते में 70 घंटे काम के मुद्दे ने फिर पकड़ा जोर, अब Namita Thapar और Anupam Mittal भी बहस में कूदे

Anupam Mittal ने इस मुद्दे पर कहा कि काम किए गए घंटों की संख्या पर फोकस करना ठीक नहीं है। मित्तल ने कहा, "मुझे लगता है कि यह इस पीढ़ी से कहा जा रहा एक बड़ा झूठ है।" उनका मानना है, आप अपने जीवन में कुछ भी असाधारण हासिल नहीं करेंगे अगर आप केवल यह गिनते रहें कि आप कितने घंटे काम कर रहे हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 28, 2024 पर 4:56 PM
हफ्ते में 70 घंटे काम के मुद्दे ने फिर पकड़ा जोर, अब Namita Thapar और Anupam Mittal भी बहस में कूदे
भारत में वर्क-कल्चर को लेकर चल रही बहस ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है।

भारत में वर्क-कल्चर को लेकर चल रही बहस ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। हफ्ते में 70 घंटे काम से जुड़ी इस बहस को शार्क टैंक इंडिया के दो प्रमुख हस्तियों- नमिता थापर और अनुपम मित्तल ने फिर से हवा दे दी है। ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक इंटरव्यू के दौरान इस मुद्दे पर उनकी तीखी बहस हुई। बता दें कि इसके पहले इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने युवाओं से अपील करते हुए कहा था कि देश को ग्लोबल लीडर बनाने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी। उनका मानना है कि युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। यहीं से इस बहस की शुरुआत हुई थी।

क्या है अनुपम मित्तल की राय

शादी डॉट कॉम के फाउंडर और CEO अनुपम मित्तल ने इस मुद्दे पर कहा कि काम किए गए घंटों की संख्या पर फोकस करना ठीक नहीं है। मित्तल ने कहा, "मुझे लगता है कि यह इस पीढ़ी से कहा जा रहा एक बड़ा झूठ है।" उनका मानना है, "आप अपने जीवन में कुछ भी असाधारण हासिल नहीं करेंगे अगर आप केवल यह गिनते रहें कि आप कितने घंटे काम कर रहे हैं।"

उन्होंने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान 16 घंटे काम करने के अपने अनुभव को याद किया और इस बात पर जोर दिया कि सफलता के लिए समय को ट्रैक करने से ज्यादा, समर्पण और मेहनत की जरूरत है। अनुपम मित्तल ने अपनी कंपनी की सफलता पर भी बात की, जो एक हाइब्रिड वर्क मॉडल के तहत काम करती है। उन्होंने इस मॉडल को 30% प्रोडक्टिविटी में बढ़ोतरी का श्रेय दिया। उनके अनुसार सफलता को समय की सीमाओं में न बांधकर काम-जीवन "संगति" (harmony) पर ध्यान दिया जाना चाहिए, बजाय इसके कि हम तय घंटों पर अड़े रहें।

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