New Delhi Railway Station stampede News: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के बाद प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री को फिलहाल बंद कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि शनिवार (15 फरवरी) रात हुई भगदड़ के बाद से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कोई प्लेटफॉर्म टिकट जारी नहीं किया जा रहा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ये आदेश 26 फरवरी 2025 तक लागू रहेगा। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भगदड़ की घटना तब हुई जब कुछ यात्री पैदल पार पथ से उतरते समय फिसलकर दूसरों पर गिर गए। रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुई भगदड़ में एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे।
नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात भगदड़ में 18 लोगों की मौत होने के बाद स्टेशन पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के साथ मिलकर स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त कर्मियों को तैनात किया है। रविवार को भी स्टेशन पर काफी भीड़ रही और हजारों यात्रियों को भारी भीड़ के बीच ट्रेनों में चढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
अधिकारी ने कहा, "हमने बैरिकेड्स लगाए हैं, गश्त बढ़ा दी है और ऐसी किसी भी घटना को रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई दल तैनात कर दिए हैं। सीसीटीवी से भी निगरानी की जा रही है और नियंत्रण कक्ष भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फुटेज पर लगातार नजर रख रहे हैं।" उन्होंने कहा कि यात्रियों के मार्गदर्शन और अफरा तफरी की स्थिति से बचने के लिए घोषणाएं की जा रही हैं।
परिजनों पर टूटा गमों का पहाड़
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार को भगदड़ में अपनी सात वर्षीय बेटी को खो चुके ओपाल सिंह ने कहा, "जब वह पैदा हुई, तो मैंने उसे अपनी छाती से लगा लिया था। आज, मैं उसके बेजान शरीर को ले गया।" अपनी छोटी बेटी के बारे में बोलते हुए उनकी आवाज भारी हो गई और आंखें डबडबा गईं। उन्होंने कहा, "अगर आपने मेरी बेटी का शव देखा होता, तो आपको उस भयावहता का अंदाजा होता। एक लोहे की छड़ उसके सिर से होते हुए उसके गले तक पहुंच गई थी।"
ओपाल सिंह ने अपनी पत्नी, दो बच्चों और भाई के साथ महाकुंभ की यात्रा की योजना बनाई थी। लेकिन जब वे प्रयागराज जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे तो उन्हें भारी भीड़ का सामना करना पड़ा। जैसे ही वे प्लेटफार्म नंबर 14 की ओर बढ़े, अचानक अफरा-तफरी मच गई और लोग सीढ़ियों से ऊपर की ओर आने लगे, जिससे भगदड़ मच गई।
ओपाल सिंह ने पीटीआई को बताया कि रेलवे पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास में सीटी बजाई, लेकिन भीड़ नहीं रुकी। जब पत्रकार ने ओपाल सिंह से पूछा कि यह अफरातफरी कैसे शुरू हुई, तो उन्होंने कहा, "मुझे कोई सुराग नहीं है, लेकिन जैसे ही कुछ लोग सीढ़ियों से गिरे, एक के बाद एक कई अन्य लोग गिरने लगे।"
भीड़ में फंसे लोगों की मदद के लिए दिल दहला देने वाली चीखें अभी भी उनके कानों में गूंज रही हैं। उन्होंने कहा, "हर कोई मदद की गुहार लगा रहा था, लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया।" अपनी पत्नी पूनम सिंह को इस भीड़ में गंवा चुके वीरेंद्र सिंह ने अपनी व्यथा के बारे में कहा, "हमें रेलवे स्टेशन से फोन आया कि भगदड़ जैसी स्थिति हो गई है और कई लोग घायल हो गए हैं। उन्होंने हमें आकर मेरी पत्नी को ले जाने को कहा।" वीरेंद्र सिंह ने बताया कि खबर सुनने के बाद वह और उनका बेटा स्टेशन पहुंचे, लेकिन उन्हें पूनम नहीं मिली। वे इधर से उधर अस्पतालों में धक्के खाते रहे।