Nipah Virus Alert in Kerala: केरल में एक बार फिर निपाह वायरस फैलने की खबर सामने आ रही है। कोझिकोड जिले में बुखार से दो मरीजों की मौत के बाद दक्षिणी राज्य केरल में एक बार फिर निपाह वायरस फैलने की आशंका बढ़ गई है। केरल स्वास्थ्य विभाग ने दो लोगों की 'अप्राकृतिक' मौत के बाद सोमवार को कोझिकोड जिले में निपाह वायरस से संबंधित अलर्ट जारी किया। केरल के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार रात एक बयान में कहा कि राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने एक उच्चस्तरीय बैठक की और स्थिति की समीक्षा की। आपको बता दें कि कोझिकोड जिले में 2018 और 2021 में भी निपाह वायरस से मौत दर्ज की गई थीं।
बयान में कहा गया कि एक निजी अस्पताल से बुखार के बाद दो लोगों अप्राकृतिक मौत की सूचना मिली है। ऐसा संदेह है कि उनकी मौत की वजह निपाह वायरस हो सकता है। उन्होंने बताया कि मृतकों के रिश्तेदार भी अस्पताल में भर्ती हैं। जॉर्ज ने बताया कि एक 9 साल और एक 4 साल की बच्चे की मौत हुई है।
मृतक मरीजों के रिश्तेदारों का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। दक्षिण भारत में निपाह वायरस का पहला मामला 19 मई 2018 को कोझिकोड में सामने आया था। फिलहाल दोनों मृतकों के शवों को मॉर्चुरी में रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद मृतकों का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह वायरस एक जूनोटिक बीमारी है, जो जानवरों के माध्यम से इंसानों में फैलता है। WHO के मुताबिक, कई बार निपाह वायरस खाने-पीने के जरिए और इंसान से इंसान में भी फैल सकता है। निपाह का सबसे पहला केस साल 1999 में मलेशिया के एक गांव सुनगई निपाह में सामने आया था। इसी कारण इस वायरस का नाम 'निपाह' रखा गया। यह वायरस इंसानों के साथ जानवरों के लिए भी घातक है। WHO ने कहा कि यह वायरस सूअरों जैसे जानवरों में भी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।
चमगादड़ के जरिए ये वायरस इंसानों तक फैलता है। हालांकि, ऐसा भी दावा है कि ये वायरल सुअर, कुत्ते, बिल्ली, घोड़े और संभवतः भेड़ से भी इंसानों में दाखिल हो सकता है। अगर निपाह वायरस से कोई व्यक्ति संक्रमित हो गया है तो वो दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है। निपाह वायरस से संक्रमित मरीजों में तेज बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, गले में खराश, एटिपिकल निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई पड़ेंगे।
इसके अलावा अगर स्थिति ज्यादा गंभीर रही तो इंसान इन्सेफेलाइटिस का भी शिकार हो सकता है। इस वायरस का कोई निश्चित इलाज अभी उपलब्ध नहीं है। इसके इलाज के लिए अबतक ना तो कोई दवा उपबल्ध है और ना उसकी रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन। अभी के लिए निपाह का इलाज सिर्फ बचाव और सावधानी ही है। एक्सपर्ट के मुताबिक, चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें। जमीन या फिर सीधे पेड़ से गिरे फल ना खाएं। मास्क हमेशा लगाकर रखें और समय-समय पर हाथ धोते रहें। वहीं, निपाह वायरस का अगर कोई भी लक्षण दिखाई पड़े तो सीधे डॉक्टर से संपर्क करें।