महाकुंभ भगदड़ में मरा शख्स, तेहरवी पर वापस लौटा, बोला- साधुओं के साथ चिलम फूंक ली थी

Mahakumbh Stampede: स्थानीय लोगों का कहना है कि खूंटी गुरु के पिता, कन्हैयाला मिश्रा एक प्रतिष्ठित वकील थे। खूंटी गुरु ने शुरुआती स्कूली शिक्षा हासिल की, लेकिन रास्ता भटक गए और अपना समय शहर की सड़कों पर घूमते हुए ही बिताया, जबकि उनके परिवार के दूसरे लोगों ने प्रगति की और एक-एक करके शहर छोड़ दिया

अपडेटेड Feb 14, 2025 पर 12:43 PM
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Mahakumbh Stampede: कथित तौर पर मर कर जिंदा लौटे इस शख्स को लोग खूंटी गुरु के नाम से जानते हैं

महाकुंभ में 29 जनवरी की देर रात मची भगदड़ में कई लोगों ने अपनों को खो दिया, लेकिन हाल ही में एक ऐसा चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब एक 60 साल का शख्स इस भगदड़ में लापता हो गया था और उसके दोस्तों और पड़ोसियों ने उसे मारा समझ कर उसकी तेहरवी की, तभी वह अपने घर पहुंच गया। शख्स को जिंदा देख मौत का भोज तुरंत एक दावत में बदल गया और उसके पड़ोसियों और दोस्तों ने उसके सही सलामत वापस लौटने पर जश्न मनाया।

जब लोगों ने उससे पूछा कि वह कहां रह गया था, तो उस शख्स ने जो जवाब दिया वो भी चौंकाना वाला था। उसने बताया कि वह साधुओं के गुट में चला गया था, जहां उसने उनके साथ चिलम पी और उसके नशे में उसे समय का पता ही नहीं चला।

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, कथित तौर पर मर कर जिंदा लौटे इस शख्स को लोग खूंटी गुरु के नाम से जानते हैं, जो एक 10x12 के कमरे में अकेले रहते हैं, जो कि प्रयागराज के जीरो रोड इलाके में उनके पैतृक घर है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके पिता, कन्हैयाला मिश्रा एक प्रतिष्ठित वकील थे। खूंटी गुरु ने शुरुआती स्कूली शिक्षा हासिल की, लेकिन रास्ता भटक गए और अपना समय शहर की सड़कों पर घूमते हुए ही बिताया, जबकि उनके परिवार के दूसरे लोगों ने प्रगति की और एक-एक करके शहर छोड़ दिया।

खूंटी गुरु एक खुशमिजाज और मिलनसार पड़ोसी है, जिसे उसके इलाके चाहचंद गली में सभी लोग जानते हैं। आस-पड़ोस के दुकानदार उसे खाना खिलाते हैं और खूंटी गुरु के दिलचस्प किस्सों और गपशप के बदले में उसे कपड़े भी देते हैं।

यूं तो उनके कमरे में अपना एक बिस्तर है, लेकिन खूंटी गुरु मंदिर के पुजारियों के साथ बातचीत करते हुए स्थानीय शिवाला (शिव मंदिर) में ही सोना पसंद करते हैं।

लोकल सोशल वर्कर अभय अवस्थी ने बताया, "28 तारीख की शाम को, वह हमें यह कहकर संगम पर गया कि वह मौनी अमावस्या पर गंगा में पवित्र स्नान करने जा रहा है, लेकिन वापस नहीं लौटा। एक दिन बाद मची भगदड़ के बाद हमने उसे हर जगह खोजा, लेकिन कुछ पता नहीं चला।"

अवस्थी ने बताया "आखिर में उसे मृत मानकर, हमने मंगलवार को उसके लिए एक छोटी सी प्रार्थना की, जिसके बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों और स्थानीय लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई।"

उन्होंने आगे बताया, "हालांकि, जब ब्राह्मणों के लिए भोजन तैयार किया जा रहा था, तभी हमारे प्रिय खूंटी गुरु एक ई-रिक्शा से उतरे और मुस्कुराते हुए हमसे पूछा, तुम लोग क्या कर रहे हो? उन्हें देख कर हम खुश भी हुए और नाराज भी।"

एक और पड़ोसी ने कहा, "बाद में उनकी वापसी का जश्न मनाने के लिए स्थानीय लोगों के बीच वही पूड़ी-सब्जी और मिठाइयां बांटी गईं।"

जब खूंटी गुरु से पूछा गया कि इतने दिनों तक वह कहां थे, तो उनके जवाब ने भी सभी को हैरान कर दिया। उन्होंने बताया, “मैंने साधुओं के एक गुट के साथ कुछ चिलम पी थीं। मैं काफी देर तक सोया, शायद कुछ दिनों तक भी।''

उन्होंने कहा कि बाद में वह नागा साधुओं के एक कैंप में गए और उन्हें अलग-अलग भंडारों में तैयार खाना परोसा और उनकी सेवा में खुद भी आनंद लिया। अवस्थ ने कहा, "अब जब वह हमारे साथ वापस आ गया है, तो कोई शिकायत नहीं कर रहा है।"

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First Published: Feb 14, 2025 12:26 PM

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