नवरात्रि का पर्व शुरू होते ही सबसे पहले कलश स्थापना और उसका पूजन करने का विधान है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का बहुत महत्व होता है। कलश देवी मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। इसे माता की चौकी बैठाना भी कहा जाता है। इस बार 3 अक्टूबर, गुरुवार से नवरात्रि शुरू हो रही है। अश्विन माह में आने वाले नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ होती है। इसी बीच नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त में करना बेहद जरुरी है। इसके लिए दिनभर में दो ही मुहूर्त रहेंगे।
मान्यता है कि जो व्यक्ति इन 9 दिनों में मां दुर्गा की सच्चे दिल से प्रार्थना करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, घटस्थापना और देवी पूजा सुबह करने का विधान है। लेकिन, इसमें चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में करने में रोक लगाई गई है। 3 अक्टूबर गुरुवार के दिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग दोनों नहीं है। ऐसे में सुबह घटस्थापना की जा सकती है।
पंडित भलेराम शर्मा भारद्वाज का कहना है कि अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 2 अक्टूबर को देर रात 12:18 बजे से लेकर 4 अक्टूबर को तड़के तड़के 02:58 बजे तक है। उदयातिथि के तहत शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर को है। कलश स्थापना के लिए सुबह में 1 घंटा 6 मिनट और दोपहर में 47 मिनट का शुभ मुहूर्त है। ऐसे में 3 अक्टूबर को सुबह में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 6:15 बजे से सुबह 7:22 बजे तक है। सुबह में घटस्थापना का शुभ समय 1.6 घंटे का है। वहीं दोपहर में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित कर मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करने का विधान है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा (Maa Durga) के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है।
1 - कलश स्थापना के लिए एक साफ और पवित्र स्थान का चुनाव करें। यह स्थान पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
2 - कलश स्थापना के समय घड़े में चावल, गेहूं, जौ, मूंग, चना, सिक्के, कुछ पत्ते, गंगाजल, नारियल, कुमकुम, रोली डालें। इसके ऊपर नारियल रखें।
3 - घड़े के मुंह पर मौली बांधें और कुमकुम से तिलक लगाएं। घड़े को एक चौकी पर स्थापित करें।
4 - कलश को रोली और चावल से अष्टदल कमल बनाकर सजाएं।
5 - देवी मां के मंत्रों का जाप करें और कलश में जल चढ़ाएं और धूप दीप करें।
मां शैलपुत्री की सवारी गाय है। इसलिए उन्हें गाय के दूध से बनी चीजों का ही भोग लगाया जाता है। पंचामृत के अलावा आप देवी शैलपुत्री को खीर या दूध से बनी बर्फी का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा घी से बने हलवे का भी प्रसाद चढ़ा सकते हैं। खास बात यह है कि गाय के दूध से बनी बर्फी का देवी को भोग लगाने के अलावा आप व्रत के दौरान भी खा सकते हैं। लोगों की आस्था है कि मां दुर्गा की सच्चे मन से पूजा करने से व्यक्तिमात्र के जीवन से सब दुख और संकट दूर हो जाते हैं। मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3 अकटूबर 2024 – मां शैलपुत्री
4 अक्टूबर 2024 – मां ब्रह्मचारिणी
5 अक्टूबर 2024 – मां चंद्रघंटा
6 अक्टूबर 2024 – मां कुष्मांडा
7 अक्टूबर 2024 – मां स्कंदमाता
8 अक्टूबर 2024 – मां कात्यायनी
9 अक्टूबर 2024 - कालरात्रि
10 अक्टूबर 2024 - महागौरी
11 अक्टूबर 2024 – मां सिद्धिदात्री