Single Use Plastic Ban: थोक व्यापारियों ने रातों-रात फेंका पुराना माल, लेकिन फैसले का समर्थन, आम जनता को भी करनी होगी जेब ढीली
Single Use Plastic Ban के फैसले का एक दूसरा पहलू ये भी है कि आखिरकार इसका असर हम और आप पर किस हद तक पड़ेगा और कितना पड़ेगा। हम इसी पहलू को समझने के लिए प्लास्टिक और डिस्पोजल आइटम (Disposable Items) के थोक व्यापारियों के बीच पहुंचे
केंद्र सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाया बैन (Moneycontrol Hindi)
Single Use Plastic Ban: 'अगर मैं गलत नहीं हूं, तो मेरा ये अविष्कार भविष्य के लिए अहम साबित होगा', ये शब्द थे बेल्जियम मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक लियो बेकलैंड (Leo Baekeland) के जिन्होंने 1907 में बैकेलाइट (Bakelite) यानी पहले प्लास्टिक (Plastic) का अविष्कार किया था। लियो के ये शब्द इतने सही साबित हुए कि एक क्रांतिकारी खोज कहे जाने वाला प्लास्टिक, आज न सिर्फ हमारे बेडरूम से बाथरूम तक, बल्कि अब तो हमारे खून में भी पाया जाने लगा है।
रोजमर्रा की जरूरतों तक तो ठीक था, लेकिन पर्यावरण, बढ़ते प्रदूषण और इंसानी जान के लिए ये प्लास्टिक अब घातक हो चला है। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) के 19 प्रोडक्ट्स पर 1 जुलाई से रोक लगा दी है। प्रदूषण और पर्यावरण के लिहाज से ये रोक बेहद जरूरी है।
इस फैसले का एक दूसरा पहलू ये भी है कि आखिरकार इसका असर हम और आप पर किस हद तक पड़ेगा और कितना पड़ेगा। हम इसी पहलू को समझने के लिए प्लास्टिक और डिस्पोजल आइटम (Disposable Items) के थोक व्यापारियों के बीच पहुंचे। दिल्ली (Delhi) के सदर बाजार (Sadar Bazar) की गली बरना (Gali Barna) प्लास्टिक और डिस्पोजल आइटम्स का थोक बाजार है।
यहां हमने कुछ व्यापारियों से बात की और समझा कि उन व्यापारियों के जरिए इस सिंगल यूज प्लास्टिक बैन का असर आम जनता पर क्या होगा। साथ ही जाना कि उन्होंने इस फैसले के बाद खुद के व्यापार में कितना बदलाव किया है।
व्यापारियों के जरिए आप पर कितना होगा असर?
गली बर्ना पहुंचते ही सबसे पहले हमारी मुलाकात उमेश अग्रवाल से हुई। इस फैसले से उनपर कितना असर पड़ा है? इस पर उमेश ने कहा कि बिजनेस पर करीब-करीब 50% का असर पड़ा है।
उन्होंने इसे विस्तार से समझाते हुए कहा, "मान लीजिए किसी ने एक ग्लास का पैकेट लिया। उसके साथ प्लेट का पैकेट लिया। मगर अब ग्लास नहीं है, प्लेट नहीं है, तो क्या लेगा वो। हर कोई महंगी प्लेट नहीं खरीद सकता है। अब 6 रुपए की प्लेट है, कहां से हर कोई उसे यूज कर पाएगा।"
उमेश अग्रवाल, थोक व्यापारी
उन्होंने आगे कहा, "पहले लोग थर्माकोल की प्लेट लेते थे। वो पहले 150 रुपए की 10 प्लेट आती थीं। अब वही प्लेट ब्लैक में बिक रही है और उसकी कीमत अब 250 रुपए हो गई है। हालांकि, हम वो नहीं बेच रहे हैं।"
एक और व्यापारी भगवान दास कोली ने गन्ने के छिलके से बनी हुईं प्लेट के पैकेट को दिखते हुए कहा, "ये प्लेट पहले से ही चलती आ रही हैं। पहले हम इसे पांच रुपए प्रति प्लेट के हिसाब से दे रहे थे, तो आज इसकी कीमत 7 रुपए प्रति प्लेट हो गई है।"
कोली ने आगे कहा, "प्लास्टिक बंद होने का असर इस तरह के आइटम पर पड़ गया है। जो डिस्पोजल ग्लास का पैकेट 35 रुपए का बिक रहा था, अब उसकी कीमत 40 रुपए हो गई है। साथ ही पैकेट में ग्लास की संख्या भी कम हो गई है। पहले एक पैकेट में 100 ग्लास आया करते थे।"
पुराने माल का क्या किया?
ये आदेश आने के बाद कारोबारियों ने ये भी बताया कि किस तरह से उन्होंने अपने उस पुराने माल को ठिकाने लगाया। उमेश अग्रवाल ने कहा कि हमने उसमें से कुछ माल बेच दिया और कुछ फेंक दिया।
इसी तरह उनके पड़ोसी दुकानदार भगवान दास ने भी कहा कि हमने उस पुराने माल को घाटे से बेचा और जो बच गया उसे रातों रात फेंकना पड़ा। उमेश कहते हैं कि अगर आप दो दिन पहले यहां आते, तो आपको गली में सिंगल यूज प्लास्टिक के आइटम का ढेर लगा मिलता।
हालांकि, उमेश का मानना है कि पिछले आदेशों के मुकाबले इस बार के आदेश का अभी बाजार में काफी असर है। व्यापारी पर्यावरण और प्रदूषण को देखते हुए खुद भी इस आदेश का समर्थन कर रहे हैं।
तभी को भगवान दास कोली कहते हैं, "हम इस आदेश के खिलाफ नहीं हैं। मोदी जी ने जो किया है कुछ सोच कर ही किया होगा। पर्यावरण और प्रदूषण के लिए ये आदेश सही है।" मगर उनकी एक मांग ये भी है कि सरकार इसमें व्यापारियों के लिए भी कुछ सोचे।
भगवान दास कोली, थोक व्यापारी
पेपर से बने आइटम में भी हैं कई मुश्किलें
भले ही ये व्यापारी सिंगल यूज प्लास्टिक से अब पेपर या दूसरी चीजों के बने आइटम के कारोबर पर आ गए हैं, लेकिन इसमें कई मुश्किलें हैं। इसे व्यापारी उमेश अग्रवाल ने बेहद ही गहराई से हमें समझाया।
उन्होंने हमें बायोडिग्रेडेबल प्लेट और कटोरी यानी जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है। वो दिखाते हुए समझाया कि इसकी पैकेजिंग में जो पन्नी इस्तेमाल की गई है, वो भी आदेश मुताबिक बैन है।
बायोडिग्रेडेबल आइटम्स
उन्होंने कहा, "अब ऐसे में कंपनी वाला इस माल को वापस लेगा नहीं और हम इसे बेच सकते नहीं। अब कंपनी से ये माल नई पैकेजिंग के साथ आएगा, जिसमें 100 माइक्रोन मोटाई वाली पन्नी का इस्तेमाल होगा। इसके बाद हम इसे बचेंगे। जाहिर सी बात है कि पैकेजिंग का पैसा भी बढ़ेगा।"
इसके साथ ही उन्होंने कागज की उन प्लेट के बारे में भी बताया, जिनके ऊपर सिल्वर कलर की पन्नी लगी होती है। उन्होंने एक ऐसी ही एक प्लेट से पन्नी उखाड़ते हुए कहा, "ये प्लेट है तो कागज की, लेकिन इसके ऊपर जो पन्नी लगी है, वो बैन है। इस लिहाज से ये भी नहीं बेची जा सकती है।"
कागज से बनी प्लेट
लकड़ी के प्रोडक्ट के भी एकदम से बढ़े दाम
इसके अलावा उन्होंने हमें लकड़ी की चम्मच के बारे में बताया कि एक हफ्ते के भीतर ही 20 रुपए प्रति पैकेट के हिसाब से इनकी कीमत बढ़ गई है। पहले ये 60 रुपए का एक पैकेट था। अब वही पैकेट 80 रुपए का हो गया है और ये थोक का भाव है।
वहीं उन्होंने चिटनी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी से बनी कटोरियां भी दिखाई। बेहत ही पतली और बेहतरीन फिनिशिंग वाली ये कटोरियां बाजार में 400 रुपए में 100 मिलेंगी। इससे पहले प्लास्टिक की डिब्बयों का इस्तेमाल होता था। उसका एक पैकेट केवल 60 रुपए का मिलता था, जिसमें 100 डिब्बयां होती थीं।
लकड़ी से बनी कटोरी
साथ ही इन व्यापारियों ने ये भी बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन होने की वजह से दूसरे डिस्पोजल आइटम की मांग तो बढ़ गई, लेकिन सप्लाई अभी धीमी है। इसलिए बाजार में माल भी पूरी तरह से नहीं आ रहा है।
दूसरी तरफ, अब जो नया माल बाजार में आएगा, जाहिर है उसकी कीमत पिछले के मुकाबले ज्यादा ही होगी। इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ना लाजमी है।
सिंगल यूज प्लास्टिक के इन आइटम पर बैन
आइए जानते हैं कि सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के किन-किन प्रोडक्ट्स पर रोक लगाई है।
अगर सेहत से जुड़े पहलू की बात की जाए, तो मार्च 2022 को Environment International journal में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसान के खून में माइक्रोप्लास्टिक पाया था। साथ ही चेतावनी दी है कि ये कण शरीर के दूसरे अंगों में भी अपना रास्ता बना सकते हैं।
ज्यादातर प्लास्टिक के छोटे टुकड़े पहले से ही पृथ्वी पर लगभग हर जगह पाए गए हैं। फिर चाहे वो सबसे गहरे महासागर हों या फिर सबसे ऊंचे पहाड़ों से लेकर हवा या मिट्टी हो।
केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के अनुसार, भारत में प्लास्टिक का इस्तेमाल पिछले पांच सालों में दोगुना हो गया है। साल 2020 में देश में करीब 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा हुआ है। इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक का योगदान काफी ज्यादा है।