Amazing Story: उत्तर प्रदेश में लेखपाल भर्ती का रिजल्ट आने के बाद सुल्तानपुर के एक परिवार में दोहरी खुशी छा गई। जिले में पिता-बेटी का एक साथ लेखपाल (Lekhpal) के पद पर चयन हुआ है। जी हां, एक तरफ जहां सेना से रिटायर पिता ने लेखपाल के पद पर सफलता हासिल की, तो बेटी ने भी पहले ही प्रयास में अकाउंटेंट की परीक्षा पास कर ली। पिता-पुत्री का एक साथ लेखपाल पद पर चयन होने से परिवार में दोहरी खुशी छा गई है। जिले में पिता-बेटी सफलता की चर्चा हो रही है। लोग इस जोड़ी की जमकर सराहना कर रहे हैं। परिजनों ने कहा कि इस दोहरी सफलता से हम बेहद खुश हैं और उनके लिए ये बड़ी बात है।
यह मामला बल्दीराय तहसील के अंतर्गत आने वाले उमरा-पूरे जवाहर तिवारी गांव (Jawahar Tiwari village) का है। गांव के रवींद्र त्रिपाठी 2019 में सेना से रिटायर्ड हो गए। सूबेदार के पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने घर बैठना मुनासिब नहीं समझा। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी प्रिया त्रिपाठी के साथ फिर से पढ़ाई शुरू कर दी। पिता ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान से डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन का ट्रेनिंग लिया। वहीं बेटी ने डिप्लोमा इन एजुकेशन का कोर्स किया। फिर पिता-बेटी ने लखनऊ में राजस्व लेखपाल की परीक्षा दी। उत्तर प्रदेश अधीनस्त सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित लेखपाल भर्ती का रिजल्ट आया तो दोनों की किस्मत एक साथ खुल गई।
19 साल की उम्र में सेना में हुए थे भर्ती
इंटरमीडिएट (12वीं) की परीक्षा पास करने के बाद 19 साल की उम्र में 5 मार्च 1991 को रवींद्र सेना में शामिल हो गए। नौकरी में रहते हुए ही व्यक्तिगत आवेदन पत्र भरकर 2004 में राणा प्रताप कॉलेज से ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की। सेना में 28 साल की सेवा के बाद 2019 में वह सूबेदार पद से रिटायर हो गए। फिर बेटी प्रिया त्रिपाठी और बेटे दीपेंद्र त्रिपाठी के साथ उन्होंने लखनऊ में बैंकिंग सेक्टर में जाने की तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान उन्होंने अपनी बेटी के साथ SBI पीओ की प्री-परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन मेन्स में निराशा हाथ लगी। फिर वह बेटी के साथ लेखपाल की तैयारी में लग गए।
पूरा परिवार खुशी से झूम उठा
पिछले सप्ताह जब लेखपाल परीक्षा का रिजल्ट आया तो रवींद्र का नाम उनकी बेटी के साथ आया तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। अब वह अपनी बेटी के साथ लेखपाल की नौकरी भी करेंगे। रवींद्र का कहना है कि पहले मैंने देश की सेवा की है, अब समाज की सेवा करूंगा। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि समर्पण और कड़ी मेहनत से हम कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। युवाओं को मोबाइल फोन की बजाय किताबों से दोस्ती करनी चाहिए।