Manu Bhaker: 22 साल की उम्र में एक ही ओलिंपिक में 2 मेडल... पेरिस में इतिहास रचने वाली मनु भाकर कौन हैं?

Who is Manu Bhaker: पेरिस ओलिंपिक में भारतीय स्टार निशानेबाज मनु भाकर ने इतिहास रच दिया है। पेरिस ओलिंपिक में मंगलवार (30 जुलाई) को मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने 10 मीटर पिस्टर मिक्स्ड टीम इवेंट में कांस्य पदक जीता है। इसी के साथ वह एक ही ओलिंपिक में 2 मेडल जीतने वाली पहली भारतीय शूटर बन गई हैं

अपडेटेड Jul 30, 2024 पर 2:59 PM
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Who is Manu Bhaker: मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने भारत को दूसरा मेडल दिलाया

Who is Manu Bhaker: भारतीय स्टार निशानेबाज मनु भाकर ने महज 22 साल की उम्र में पेरिस ओलिंपिक में इतिहास रच दिया है। मनु भाकर एक ही ओलिंपिक में दो मेडल जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गई हैं। उन्होंने मंगलवार (30 जुलाई) को 10 मीटर एयर पिस्टल के मिक्स्ड टीम इवेंट में निशानेबाज सरबजोत सिंह के साथ कांस्य पदक जीता। इसी के साथ मनु भाकर आजादी के बाद एक ही ओलिंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। उन्होंने सरबजोत सिंह के साथ पेरिस ओलिंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में दक्षिण कोरिया को हराकर इतिहास रच दिया।

भारतीय जोड़ी ने कोरिया को 16 . 10 से हराकर देश को इस ओलिंपिक में दूसरा मेडल दिलाया। इससे पहले मनु ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड टीम इवेंट में कांस्य जीता था। ब्रिटिश मूल के भारतीय खिलाड़ी नॉर्मन प्रिचार्ड ने साल 1900 ओलिंपिक में 200 मीटर फर्राटा और 200 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक जीते थे लेकिन वह उपलब्धि आजादी से पहले की थी।

मनु भाकर ने रविवार (28 जुलाई) को महिला 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में कांस्य पदक के साथ निशानेबाजी में ओलिंपिक मडल के भारत के 12 साल के इंतजार को खत्म किया। साथ ही पेरिस ओलिंपिक में भारत के पदक का खाता खोला। वह भारतीय ओलिंपिक मेडल विजेताओं के एक खास क्लब में शामिल हो गईं, जिसमें अभी तक सिर्फ चार पुरुष निशानेबाज थे।


शूटिंग से मनु भाकर का कनेक्शन

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हरियाणा के झज्जर में जन्मी 22 साल की मनु भाकर ने स्कूल के दिनों में ही टेनिस, स्केटिंग और बॉक्सिंग जैसे खेलों में हाथ आजमाया। उन्होंने 'थांग ता' नामक मार्शल आर्ट में भी भाग लिया। इसमें उन्होंने राष्ट्रीय लेवल पर मेडल भी जीते। फिर उन्होंने 14 साल की उम्र में शूटिंग में हाथ आजमाने का फैसला किया।

2018 में मिली बड़ी सफलता

वर्ष 2018 मनु भाकर के लिए एक शूटर के रूप में सफल साल था। उन्होंने एक साल पहले ही अपनी क्षमता की झलक दिखा दी थी। 2017 की राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में मनु भाकर ने ओलिंपियन और पूर्व वर्ल्ड नंबर 1 खिलाड़ी हीना सिद्धू को चौंका दिया। मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में सिद्धू के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 242.3 का रिकॉर्ड स्कोर बनाया। एक साल बाद मनु भाकर महज 16 साल की उम्र में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर सोशल मीडिया सनसनी बन गईं।

फिर साल 2018 में मैक्सिको के ग्वाडलजारा में आयोजित इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन वर्ल्ड कप में मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड मेडल जीता। इस खेल में उन्होंने दो बार की चैंपियन मैक्सिको की एलेजांद्रा जवाला को मात दी। मनु भाकर ने वर्ष 2019 में हुए म्यूनिख ISSF वर्ल्ड कप में चौथे स्थान पर रहकर ओलिंपिक कोटा हासिल किया था।

टोक्यो ओलिंपिक में मिली निराशा

टोक्यो ओलिंपिक में मनु भाकर से बहुत उम्मीदें थीं। हालांकि उनका यह पहला ओलिंपिक था। इसमें उनका डेब्यू योजना के अनुसार नहीं हुआ। इवेंट के दौरान उनकी बंदूक में खराबी आ गई, जिससे वह निराश हो गईं। कई इवेंट में पसंदीदा में से एक होने के बावजूद उन्होंने तीन साल पहले टोक्यो ओलिंपिक को बिना मेडल के समाप्त किया। मनु भाकर साल 2020 में टोक्यो ओलिंपिक में मेडल जीतने में नाकाम रहने के बाद निशानेबाजी रेंज से रोते हुए बाहर निकलीं थीं।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, टोक्यो ओलिंपिक में दिल टूटने के बाद मनु भाकर ने लगभग 25 दिनों तक अपनी पिस्तौल की ओर देखा तक नहीं था। लेकिन जब मनु भाकर टोक्यो ओलिंपिक के सदमे से उबरने के लिए केरल के चेराई में एक बीच साइड रिसॉर्ट में अपने परिवार के साथ छुट्टियां मना रही थीं, तो उन्हें शूटिंग के प्रति अपने प्यार का एहसास हुआ।

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मनु भाकर पिछले 20 साल में किसी व्यक्तिगत इवेंट के ओलिंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज हैं। आखिरी बार किसी भारतीय महिला ने ओलिंपिक के फाइनल में जगह बनाई थी, जब सुमा शिरूर 2004 एथेंस ओलिंपिक में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा के फाइनल में पहुंची थीं।

गीता के श्लोकों पर करती हैं विश्वास

'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, मनु भाकर के माता-पिता रामकिशन और सुमेधा ने उनके कठिन समय के दौरान उनके साथ गीता के श्लोकों का पाठ किया। मनु की मां अक्सर उन्हें गीता के श्लोक सुनाती हैं। खुद मनु भाकर ने भी कांस्य पदक जीतने के बाद कहा था, "मैंने भगवत गीता काफी पढ़ी है और वही करने की कोशिश की जो मुझे करना चाहिए था। बाकी सब भगवान पर छोड़ दिया था। हम भाग्य से नहीं लड़ सकते। आप परिणाम को नियंत्रित नहीं कर सकते।"

Akhilesh

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First Published: Jul 30, 2024 2:56 PM

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