मशहूर इकोनॉमिस्ट अभिजीत सेन का 72 साल की उम्र में 29 अगस्त की रात निधन हो गया। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की उनकी समझ जबर्दस्त थी। वह योजना आयोग के सदस्य रह चुके थे।

मशहूर इकोनॉमिस्ट अभिजीत सेन का 72 साल की उम्र में 29 अगस्त की रात निधन हो गया। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की उनकी समझ जबर्दस्त थी। वह योजना आयोग के सदस्य रह चुके थे।
चार दशकों के अपने करियर में उन्होंने यूनिवर्सिटीज ऑफ ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और जेएनयू में पढ़ाया था। उन्होंने सरकार में कई तरह की जिम्मेदारियां संभाली थीं। वह कमीशन ऑन एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज के भी चेयरमैन रह चुके थे।
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अभिजीत के भाई प्रणब सेन ने उनके देहांत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अभिजीत को रात करीब 11 बजे हार्ट अटैक आया। उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन इससे पहले उनका देहांत हो चुका था।
सेन 2004 से 2014 के दौरान योजना आयोग के सदस्य रहे। तब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। सेन को 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2014 में केंद्र में एनडीए की सरकार बनने पर उन्हें उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स का प्रमुख बनाया गया था। इस टास्क फोर्स को 'लंबी अवधि की खाद्यान्न नीति' बनाने का काम सौंपा गया था।
सेन समाज के कमजोर वर्गों के लिए पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (PWS) को बहुत जरूरी मानते थे। उनका कहना था कि इसके जरिए गरीब लोगों तक गेहूं और चावल जैसे जरूरी खाद्यान्न पहुंचाए जा सकते हैं।
उनका मानना था कि फूड सब्सिडी पर आने वाले सरकारी खर्च को बढ़ाचढ़ा कर पेश किया जाता है। उनका यह भी मानना था कि यूनिवर्सल पीडीएस और किसानों को उनकी फसलों की उचित कीमतें देने के लिए सरकार के पास पर्याप्त पैसे हैं।
अभिजीत सेन के पिता समर सेन भी इकोनॉमिस्ट थे। उन्होंने वर्ल्ड बैंक में काम किया था। अभिजीत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रतिष्ठित कॉलेज सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई की थी। फिर वह इकोनॉमिक्स में डॉक्टोरेट की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज चले गए।
प्रणब सेन के मुताबिक, अभिजीत को पिछले कुछ सालों से सांस की बीमारी थी। कोविड-19 के दौरान यह समस्या बहुत बढ़ गई थी। उनके परिवार में उनकी पत्नी जयति घोष और बेटी जाह्नवी हैं। उनकी पत्नी भी मशहूर अर्थशास्त्री हैं।
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