चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के संस्थापक और चांसलर सतनाम सिंह संधू (Satnam Singh Sandhu) को राज्यसभा (Rajya Sabha) के लिए मनोनीत किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सतनाम संधू को संसद के उच्च सदन राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को एक अधिसूचना में कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संधू को संसद के ऊपरी सदन के लिए नामित किया है। अधिसूचना में कहा गया है कि किसान के बेटे संधू भारत के प्रमुख शिक्षाविदों में से एक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संधू को उनकी संसदीय यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि राज्यसभा की कार्यवाही उनके विचारों से समृद्ध होगी।
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संधू के राज्यसभा के लिए नामांकन का स्वागत किया। धनखड़ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "सामुदायिक सेवा में उनका समृद्ध कार्य और शिक्षा, इनोवेशन और सीखने के प्रति उनका जुनून राज्यसभा के लिए ताकत का बड़ा स्रोत होगा। मैं उनके कार्यकाल के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।"
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि राष्ट्रपति ने संधू को राज्यसभा के लिए नामित किया है। पीएम मोदी ने X पर पोस्ट किया, "सतनाम जी ने खुद को एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में स्थापित किया है। वह विभिन्न तरीकों से जमीनी स्तर पर लोगों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय एकता को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। उन्होंने भारतीय प्रवासियों के साथ भी काम किया है।"
- आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के संस्थापक और चांसलर सतनाम सिंह संधू भारत के प्रमुख शिक्षाविदों में से एक हैं। वह पंजाब के एक किसान के बेटे हैं।
- सतनाम सिंह संधू दुख भी एक किसान भी हैं। शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया। उन्हें 2001 में मोहाली में 'चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज (CGC)' की स्थापना और 2012 में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय जाता है।
- वह अपने दो गैर सरकारी संगठनों 'इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन' और 'न्यू इंडिया डेवलपमेंट फाउंडेशन' के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार और सांप्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर सामुदायिक प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
- उनका प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों से भरा था। उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए काफी संघर्ष किया। वह बाद में एक कट्टर परोपकारी बन गए। वह अक्सर छात्रों की आर्थिक मदद करते रहते हैं।
- वह जनता के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के सामुदायिक प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। अपने संघर्ष भरे बचपन के कारण ही वो जिंदगी में जैसे जैसे आगे बढ़े। वह देश में सांप्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के लिए दो गैर सरकारी संगठन चलाते हैं।