Hi-Green Carbon IPO: टायर रिसाईकिल करने वाली कंपनी हाई-ग्रीन कॉर्बन (Hi-Green Carbon) का आईपीओ आज सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है। इसके 53 करोड़ रुपये के आईपीओ के तहत सिर्फ नए शेयर ही नहीं जारी होंगे बल्कि ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत भी शेयरों की बिक्री होगी। कंपनी के वित्तीय सेहत की बात करें को पिछले तीन वित्त वर्षों में इसका नेट प्रॉफिट रॉकेट की स्पीड से बढ़ा है। अब ग्रे मार्केट में बात करें तो इसके शेयर इश्यू के अपर प्राइस बैंड से 50 रुपये यानी 66.67 फीसदी की GMP (ग्रे मार्केट प्रीमियम) पर हैं। हालांकि मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक ग्रे मार्केट से मिले संकेतों की बजाय कंपनी के फाइनेंशियल्स और फंडामेंटल्स के आधार पर निवेश से जुड़ा फैसला लेना चाहिए।
Hi-Green Carbon IPO की डिटेल्स
हाई-ग्रीन कॉर्बन का 52.80 करोड़ रुपये का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 25 सितंबर तक खुला रहेगा। इस आईपीओ के तहत 71-75 रुपये के प्राइस बैंड और 1600 शेयरों के लॉट में पैसे लगा सकते हैं। इश्यू का आधा हिस्सा क्वालिफाईड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिएष 15 फीसदी नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) और 35 फीसदी खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित है। आईपीओ की सफलता के बाद शेयरों का अलॉटमेंट 28 सितंबर को फाइनल होगा और इसके बाद शेयरों की NSE SME पर 4 अक्टूबर को एंट्री होगी। इस आईपीओ के लिए रजिस्ट्रार लिंक इनटाइम है।
आईपीओ के तहत 10 रुपये की फेस वैल्यू वाले 44.93 करोड़ रुपये के 59.90 लाख नए शेयर जारी होंगे। इसके अलावा 7.88 करोड़ रुपये के 10.50 लाख शेयरों की ऑफर फॉर सेल (OFS) विंडो के तहत बिक्री होगी। नए शेयरों को जारी कर कंपनी को जो पैसे मिलेंगे, उसका इस्तेमाल महाराष्ट्र में एक प्लांट लगाने, वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने, आम कॉरपोरेट उद्देश्यों और आईपीओ से जुड़े खर्चों को भरने में होगा।
Hi-Green Carbon के बारे में
2011 में बनी हाई-ग्रीन कॉर्बन (पूर्व नाम शैंटोल ग्रीन हाइड्रोकॉर्बन्स) खराब हो चुके टायरों को रिसाईकिल करती है। इसका मैनुफैक्चरिंग प्लांट राजस्थान में है। इसमें पायरोलिसिस प्रोसेस के जरिए हर दिन 100 टन टायर को रिसाईकिल करने की क्षमता है। इसके प्रोडक्ट पोर्टफोलियो की बात करें तो यह कच्चे माल की कैटेगरी में रिकवर्ड कॉर्बन ब्लैक (rCB) और स्टील वायर के साथ-साथ एनर्जी कंपोनेंट्स कैटेगरी में फ्यूल ऑयल और सिंथेसिस गैस बनाती है। सिंथेसिस गैस का इस्तेमाल सोडियम सिलिकेट यानी रॉ ग्लास बनाने में होता है।
कंपनी को योजना महाराष्ट्र के धुले में एक नया प्लांट लगाने की है जिसकी क्षमता हर दिन 100 टन टायर रिसाईकिल करने की होगी। कंपनी के वित्तीय सेहत की बात करें तो इसका मुनाफा रॉकेट की स्पीड से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2021 में इसे 9.59 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था। अगेल ही वित्त वर्ष यह बढ़कर 3.68 करोड़ रुपये और फिर वित्त वर्ष 2023 में बढ़कर 10.85 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।