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IPO Rules: आईपीओ में होने वाले बड़े नुकसान से रिटेल इनवेस्टर्स को बचाने के लिए क्या नियमों को सख्त बनाने की जरूरत है?

पिछले 4-5 सालों में आईपीओ में आम लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। खासकर बड़ी संख्या में युवा आईपीओ को फटाफट कमाई का जरिया मानने लगे हैंं। हालांकि, बीते 1-2 सालों में ऐसे कई आईपीओ आए हैं, जिनमें बोली लगाने वाले रिटेल इनवेस्टर्स को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Jun 10, 2025 पर 11:21 AM
IPO Rules: आईपीओ में होने वाले बड़े नुकसान से रिटेल इनवेस्टर्स को बचाने के लिए क्या नियमों को सख्त बनाने की जरूरत है?
रिटेल इनवेस्टर्स के बड़े आईपीओ में ज्यादा दिलचस्पी दिखाने की वजह यह है कि अब आसानी से आईपीओ में बोली लगाने के लिए कर्ज मिल जाता है।

मेरी मुलाकात एक स्कूल टीचर से हुई जो एक फिनटेक कंपनी के आईपीओ को लेकर काफी उत्साहित थीं। उनका फोकस कंपनी के रेवेन्यू मॉडल और कारोबार से जुड़े रिस्क पर नहीं था। वह सिर्फ इसलिए इनवेस्ट करना चाहती थी, क्योंकि उन्होंने खबरों में पढ़ा था कि वह आईपीओ 80 गुना सब्सक्राइब्ड हो चुका है। उन्होंने 2 लाख रुपये मूल्य के शेयरों की बोली लगाई। इस आईपीओ के शेयर एक हफ्ते बाद 15 फीसदी डिस्काउंट पर लिस्ट हुए। उन्होंने दोबारा किसी आईपीओ में निवेश नहीं करने की कसम खाई।

आईपीओ में बड़ी संख्या में रिटेल इनवेस्टर्स गंवा रहे पैसे

यह ऐसा अकेला मामला नहीं है। कई कंपनियों के IPO में ऐसी कहानियां सुनने को मिलती हैं। रिटेल इनवेस्टर्स आज पहले के मुकाबले काफी उत्साहित हैं। स्टॉक्स मार्केट में उनका पार्टिसिपेशन बढ़ा है। स्टॉक्स में निवेश करना बहुत आसान हो गया है। लोगों की जेब में निवेश करने के लिए पैसे हैं। वे खासकर बड़ी कंपनियों के आईपीओ को फटाफट मुनाफा बनाने के मौके के रूप में देखते हैं। उधर, संस्थागत निवेशक बड़ी कंपनी के आईपीओ में निवेश करने से पहले कंपनी की बैलेंसशीट, बिजनेस से जुड़े रिस्क और ग्रोथ की संभावनाओं को समझने में कई महीने लगाते हैं।

रिटेल इनवेस्टर्स यूट्यूब पर फिनफ्लूएंसर्स की बातों पर भरोसा करते हैं

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