मेरी मुलाकात एक स्कूल टीचर से हुई जो एक फिनटेक कंपनी के आईपीओ को लेकर काफी उत्साहित थीं। उनका फोकस कंपनी के रेवेन्यू मॉडल और कारोबार से जुड़े रिस्क पर नहीं था। वह सिर्फ इसलिए इनवेस्ट करना चाहती थी, क्योंकि उन्होंने खबरों में पढ़ा था कि वह आईपीओ 80 गुना सब्सक्राइब्ड हो चुका है। उन्होंने 2 लाख रुपये मूल्य के शेयरों की बोली लगाई। इस आईपीओ के शेयर एक हफ्ते बाद 15 फीसदी डिस्काउंट पर लिस्ट हुए। उन्होंने दोबारा किसी आईपीओ में निवेश नहीं करने की कसम खाई।
