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LG Electronics IPO में निवेश का आखिरी मौका, लेकिन बोली लगाने से पहले समझ लें ये बड़े रिस्क

LG Electronics IPO: टाटा कैपिटल (Tata Capital) के ₹15500 करोड़ और एचडीबी फाइनेंशियल (HDB Financial) के ₹12500 करोड़ के बाद एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने इस साल का तीसरा सबसे बड़ा आईपीओ पेश किया है। इसके ₹11,607 करोड़ के आईपीओ में हर कैटेगरी के लिए आरक्षित हिस्सा पूरा भर चुका है। आज बोली लगाने का आखिरी मौका है लेकिन निवेश से पहले कुछ रिस्क के बारे में अच्छे से समझ लें

Edited By: Jeevan Deep Vishawakarmaअपडेटेड Oct 09, 2025 पर 8:59 AM
LG Electronics IPO में निवेश का आखिरी मौका, लेकिन बोली लगाने से पहले समझ लें ये बड़े रिस्क
LG Electronics IPO: प्रॉक्सी एडवायजरी फर्म इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज (InGovern Research Services) ने एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के आईपीओ को लेकर निवेशकों को सतर्क किया है।

LG Electronics IPO: प्रॉक्सी एडवायजरी फर्म इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज (InGovern Research Services) ने एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के आईपीओ को लेकर निवेशकों को सतर्क किया है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स के ₹11,607 करोड़ के आईपीओ में पैसे लगाने का आज आखिरी मौका है और इनगवर्न ने निवेशकों को आगाह किया है कि कंटिजेंट लायबिलिटीज यानी आकस्मिक देनदारियां, रॉयल्टी पेमेंट्स बढ़ाने की छूट और संबंधित पक्षों से जुड़े लेन-देन रिस्क बना रहे हैं। इनगवर्न ने टैक्स दावों को लेकर चल रहे कानूनी मामले का हवाला देते हुए खुलासा किया कि ₹4717 करोड़ की आकस्मिक देनदारी आ सकती है जोकि इसके नेटवर्थ का करीब 73% है। इनगवर्न का कहना है कि अगर इन मामलों में फैसला कंपनी के पक्ष में नहीं आता है तो इसकी कमाई को झटका लग सकता है।

क्या है आकस्मिक देनदारियों का मामला?

एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स ने रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (RHP) में खुलासा किया है कि ₹4,717 करोड़ की आकस्मिक देनदारियों का बड़ा हिस्सा इनकम टैक्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स की डिमांड्स से जुड़ा है। इसका एक बड़ा हिस्सा एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की दक्षिण कोरियाई पैरेंट कंपनी को रॉयल्टी और टेक्निकल सर्विस पेमेंट्स को लेकर ट्रांसफर प्राइसिंग एडजस्टमेंट्स से जुड़ा है। इनगवर्न का कहना है कि एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने कानूनी कार्यवाहियों के चलते इसे लेकर अभी कोई प्रोविजंस नहीं किया है तो आने वाले समय में निगेटिव फैसले आने पर कंपनी पर तगड़ा भार पड़ सकता है।

जांच के दायरे में रॉयल्टी पेमेंट्स

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