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LIC IPO में छोटे शहरों के इनवेस्टर्स की दिखेगी ज्यादा दिलचस्पी, जानिए इसकी वजह

सरकार ने साल 2000 में इंश्योरेंस सेक्टर को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोल दिया। इससे पहले एलआईसी देश की अकेली लाइफ इश्योरेंस कंपनी थी। छोटे शहरों के हर गली-मोहल्ले में इसके एजेंट मिल जाएंगे। 1960 के दशक में बड़ी हो रही पूरी पीढ़ी का एलआईसी से इमोशनल अटैचमेंट है

अपडेटेड May 04, 2022 पर 9:36 AM
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LIC ने अपने IPO के लिए 902-949 रुपये प्रति शेयर का प्राइस बैंड रखा है

LIC ने अपना IPO लॉन्च कर दिया है। इसमें छोटे शहरों के रिटेल इनवेस्टर्स अच्छी दिलचस्पी दिखा सकते हैं। साल 2000 तक एलआईसी देश की इकलौती जीवन बीमा कंपनी थी। इससे लोगों का LIC से इमोशनल अटैचमेंट है। इसके पॉलिसीहोल्डर्स का बड़ा हिस्सा छोटे शहरों में रहता है।

यह आईपीओ निवेश के लिए 4 मई को खुल गया है। हालांकि, कंपनी ने इश्यू से ठीक पहले इसका आकार घटाने का फैसला किया। इसकी वजह स्टॉक मार्केट में कमजोरी है। यूक्रेन क्राइसिस और अमेरिका में इंटरेस्ट बढ़ने से विदेशी फंड्स इंडिया सहित उभरते मार्केट्स से पैसे निकाल रहे हैं। इसका असर स्टॉक मार्केट के सेंटिमेंट पर पड़ा है। लेकिन, इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स का कहना है कि छोटे शहरों के इनवेस्टर्स से एलआईसी के आईपीओ को बड़ा सपोर्ट मिलेगा।

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पुणे की सेपिएंट वेल्थ एडवाइजर्स एंड ब्रोकर्स के डायरेक्टर पल्लव बगाड़िया ने कहा, " किसी आईपीओ का लॉन्च होना और एलआईसी के शेयरों की बिक्री। इन दोनों में बहुत अंतर है। एलआईसी का जुड़ाव पूरी पीढ़ी से रहा है। वे एलआईसी के शेयर खरीदना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उनकी अपनी कंपनी है।"

एलआईसी की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। सरकार ने साल 2000 में इंश्योरेंस सेक्टर को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोल दिया। इससे पहले एलआईसी देश की अकेली लाइफ इश्योरेंस कंपनी थी। छोटे शहरों के हर गली-मोहल्ले में इसके एजेंट मिल जाएंगे। 1960 के दशक में बड़ी हो रही पूरी पीढ़ी का एलआईसी से इमोशनल अटैचमेंट है।

एमके इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के सीईओ विकास सचदेवा ने कहा, "इस इश्यू को लेकर बहुत हलचल है, क्योंकि लोग लाइफ इंश्योरेंस का मतलब एलआईसी मानते हैं। एलआईसी ब्रांड के साथ लोग सालों से रहते आए हैं।" उन्होंने बताया कि उन्हें अपने पिता के दोस्तों और रिश्तेदारों के लगातार फोन आ रहे हैं। वे इस आईपीओ के बारे में पूछ रहे हैं।

सचदेवा ने कहा कि सरकार ने एलआईसी में कम हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। इसके अलावा इसकी वैल्यूएशन भी घटाई है। इससे इस इश्यू का अट्रैक्शन और बढ़ गया है। सरकार अब इस इश्यू से सिर्फ 21000 करोड़ रुपये जुटा रही है। पहले उसने 60,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी। सरकार ने मार्केट की स्थितियों को देखते हुए यह फैसला लिया है।

74 साल के टाटा स्टील के पूर्व एंप्लॉयी रवि गोगिया ने कहा, "यह इनवेस्टमेंट इंश्योरेंस की तरह है। हमें पक्का भरोसा है कि हम किसी गलत कंपनी या लोगों से फ्रॉड करने वाली कंपनी में इनवेस्ट नहीं कर रहे हैं।" गोगिया ने एलआईसी के आईपीओ में इनवेस्ट करने की योजना बनाई है।

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