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Zomato vs Swiggy: जोमैटो को स्टॉक मार्केट में भी टक्कर देने की स्विगी की तैयारी, दीपिंदर गोयल का ऐसा है रिस्पांस

Zomato vs Swiggy: ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी के 125 करोड़ डॉलर के आईपीओ को बाजार नियामक SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की मंजूरी मिल चुकी है। इसकी कॉम्पटीटर जोमैटो पहले से ही मार्केट में लिस्टेड है। जानिए स्टॉक मार्केट में भी भिड़ंत को लेकर जोमैटो के फाउंडर और ग्रुप सीईओ दीपिंदर गोयल का क्या कहना है?

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Oct 08, 2024 पर 4:32 PM
Zomato vs Swiggy: जोमैटो को स्टॉक मार्केट में भी टक्कर देने की स्विगी की तैयारी, दीपिंदर गोयल का ऐसा है रिस्पांस
Zomato vs Swiggy: जोमैटो के फाउंडर और ग्रुप सीईओ दीपिंदर गोयल ने कहा कि एक और फूड टेक कंपनी के लिस्ट होने से इंडस्ट्री को ही फायदा मिलेगा।

Zomato vs Swiggy: ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी के 125 करोड़ डॉलर के आईपीओ को बाजार नियामक SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की मंजूरी मिल चुकी है। इसकी कॉम्पटीटर जोमैटो पहले से ही मार्केट में लिस्टेड है। ऐसे में जोमैटो के फाउंडर और ग्रुप सीईओ दीपिंदर गोयल को इसे लेकर क्या सोचना है, मनीकंट्रोल ने जब इसे लेकर बातचीत की तो उन्होंने कहा कि एक और फूड टेक कंपनी के लिस्ट होने से इंडस्ट्री को ही फायदा मिलेगा। स्विगी के आईपीओ को करीब एक हफ्ते पहले मंजूरी मिली थी और अगले कुछ हफ्ते में यह सब्सक्रिप्शन के लिए खुल सकता है।

Swiggy IPO को लेकर क्या कहा Zomato के सीईओ ने?

मनीकंट्रोल से बातचीत में जोमैटो के सीईओ ने कहा कि इस क्षेत्र के लिए कई कंपनियों का होना अच्छा है। उन्होंने आगे कहा कि उनका ध्यान वास्तव में अपने काम पर रहता है। इसके अलावा किसी और चीज की परवाह नहीं है, बाहर क्या हो रहा है, इसे लेकर भी नहीं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जोमैटो के अलावा उन्होंने किसी और ऐप से कभी खाने-पीने की चीजें ऑर्डर नहीं की हैं।

इसी प्रकार हाल ही में स्विगी के को-फाउंडर और ग्रुप सीईओ श्रीहर्ष मजेती ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा था कि लिस्टेड कॉम्पटीटर होने के अपने फायदे और नुकसान हैं। 9 अगस्त को बेंगलुरु में मनीकंट्रोल स्टार्टअप कॉन्क्लेव में उन्होंने कहा था कि ऑन-डिमांड क्या है, गिग वर्कर अर्थव्यवस्था का क्या अर्थ है और हाइपरलोकल क्या है, इस पर अब कुछ बताने की जरूरत नहीं है और ये सभी पॉजिटिव हैं। वहीं निगेटिव ये है कि कॉम्पटीटर्स की हर तिमाही आपस में तुलना की जाएगी। श्रीहर्ष ने कहा था कि लिस्टेड कॉम्पटीटर्स निश्चित रूप से पॉजिटिव है। लिस्ट होने पर फायदे को लेकर स्विगी के सीईओ ने कहा था कि इसमें लॉन्ग टर्म के लिए सोचना काफी मुश्किल हो जाता है और हर हफ्ते काम करना पड़ता है लेकिन हर तिमाही रिव्यू के चलते सही चीजें होती हैं जिससे लॉन्ग टर्म का रास्ता बेहतर होता है।

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