लोकसभा चुनावों के बाद CPI और IIP के बेस ईयर में बदलाव होंगे, सरकार बनाएगी कमेटी

सरकार समय-समय पर आईआईपी, सीपीआई आदि के बेस ईयर में बदलाव करती है। कोविड की महामारी की वजह से बेस ईयर में बदलाव करने में देरी हुई है। सटीक और भरोसेमंद इकोनॉमिक डेटा के लिए बेस ईयर में बदलाव जरूरी है

अपडेटेड Apr 24, 2024 पर 3:28 PM
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लोकसभा चुनावों के बाद एडवायजरी कमेटी ऑन नेशनल अकाउंट्स (ACNAS) का गठन सरकारी की प्राथमिकता में शामिल होगा।

सरकार ने रिटेल इनफ्लेशन और IIP के बेस ईयर में बदलाव के लिए एक्सपर्ट्स की एडवायजरी कमेटी बनाने का फैसला लिया है। लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद कमेटी बन जाएगी। सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोविड के चलते इसमें देर हुई है। अभी रिटेल इनफ्लेशन (CPI) और IIP दोनों के लिए बेस ईयर 2011-12 है। अधिकारी ने बताया कि एक्सपर्ट कमेटी में एजुकेशन से जुड़े लोग शामिल होंगे। बेस ईयर में बदलाव में पहले ही देर हो चुकी है।

ACNAS का दोबारा गठन करना  होगा

लोकसभा चुनावों के बाद एडवायजरी कमेटी ऑन नेशनल अकाउंट्स (ACNAS) का गठन सरकारी की प्राथमिकता में शामिल होगा। अधिकारी ने बताया कि ACNAS का दोबारा गठन करना होगा, क्योंकि पिछले साल 19 अक्टूबर के बाद इसकी बैठक नहीं हुई है। दोबारा गठन के बाद यह कमेटी CPI और IIP के बेस ईयर में बदलाव के तरीके के बारे में सुझाव देगी। आम तौर पर इस कमेटी में सरकार के अलग-अलग विभागों के प्रतिनिधि, स्टैटिस्टिकल एजेंसियां, एजुकेशन से जुड़े लोग और इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स शामिल होते हैं।


CPI पर बनी सब-कमेटी निष्क्रिय हो चुकी है

ACNAS पर नेशनल अकाउंट्स स्टैटिस्टिक्स के कंपायलेशन (Compilation) और प्रसार (Dissemination) पर नजर रखने की जिम्मेदारी होती है। इकोनॉमिक डेटा की एक्युरेशी और विश्वसनीयता में में इसकी बड़ी भूमिका होती है। इनमें जीडीपी के अनुमान, CPI और IIP शामिल हैं। अधिकारी ने बताया कि पहले सीपीआई पर भी एक सब-कमेटी बनाई गई थी। इसके अध्यक्ष नेशनल अकाउंट डिविजन के आशीष कुमार थे। लेकिन, अब यह भी निष्क्रिय (defunct) हो चुकी है।

सीपीआई के बेस ईयर में इसलिए जरूरी है बदलाव

CPI का बेस ईयर बहुत मायने रखता है क्योंकि यह रेफरेंस ईयर का काम करता है। इसी के मुताबिक, बाद के सालों में कीमतों में बदलाव की माप की जाती है। सरकार, RBI और पॉलिसी बनाने वाले लोग मॉनेटरी और फिस्कल पॉलिसी में बदलाव के लिए सीपीआई डेटा का इस्तेमाल करते हैं। बेस ईयर के मुकाबले कीमतों में बदलाव के ट्रेंड पर पॉलिसीमेकर्स को इकोनॉमी में स्थिरता, इनफ्लेशन कंट्रोल और इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए फैसला लेने में मदद मिलती है।

IIP में शामिल होती है कई सेक्टर की इंडस्ट्रियल एक्टिविटी

IIP में कई सेक्टर की इंडस्ट्रियल एक्टिविटी कवर होती है। इनमें मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन शामिल हैं। बेस ईयर को अपडेट करने से यह सुनिश्चित होता है कि हर सेक्टर को एलॉट किया गया वेट इकोनॉमी में उसके मौजूदा महत्व के रूप में नजर आए। इससे सेक्टर की सही एनालिसिस में मदद मिलती है। साथ ही उभरते ट्रेंड्स और चैलेंजेज का भी पता चलता है।

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