इस लोकसभा चुनाव में दो ऐसे उम्मीदवार जीत कर आए हैं, जो गंभीर आरोपों में जेल में बंद हैं। आतंकवाद के आरोप के बीच दोनों ही उम्मीदवारों ने जेल में रहकर ही चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की, जिससे आगामी दिनों में गठित होने वाली 18वीं लोकसभा के लिए असामान्य स्थिति पैदा हो गई है। हालांकि, कानून के तहत उन्हें नए सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी, फिर भी उन्हें संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने का संवैधानिक अधिकार है।