चर्चा है कि बाजार का भरोसा इस बात में घटा है कि बीजेपी 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने जा रही है। जब बाजार में गिरावट आती है लोग यह सोचने लगते हैं कि चुनाव के नतीजों के अनुमान में कुछ गड़बड़ है। ऐसे लोग यह मानकर चलते हैं कि मार्केट को सबकुछ पता है। उन्हें लगता है कि मार्केट बीजेपी की जीत का अनुमान लगाकर चल रहा है। ऐसा नहीं होने पर मार्केट गिरेगा। अगर आज ऐसी बात है तो क्या पांच साल पहले यह बात नहीं रही होगी? आइए पिछले लोकसभा चुनावों को देखते हैं।
सात चरणों में हुए थे मतदान
2019 में हुए लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2019) में भी कुल सात चरणों में चुनाव हुए थे। 11 अप्रैल को 91 सीटों का चुनाव हुआ था। इनमें से बीजेपी (BJP) को 31, कांग्रेस (Congress) को 9 और अन्य को 51 सीटें मिली थीं। 18 अप्रैल को दूसरे चरण में 97 सीटों पर मतदान हुए थे। इनमें बीजेपी को 38, कांग्रेस को 12 और अन्य को 47 सीटें मिली थीं। 23 अप्रैल को 115 सीटों पर वोटिंग हुई थी। 67 सीटें बीजेपी को, 19 कांग्रेस को और 29 अन्य को मिली थीं। 29 अप्रैल को हुए 71 सीटों के मतदान में 49 बीजेपी को, 2 कांग्रेस को और 20 अन्य के खाते में गई थीं।
6 मई को 51 सीटों पर वोटिंग हुई, जिनमें से 42 बीजेपी को, 1 कांग्रेस को और 8 अन्य के खाते में गईं। 12 मई को 59 सीटों पर मतदान हुए, जिनमें से 45 सीटें बीजेपी को, 1 कांग्रेस को और 13 अन्य को मिली थीं। 19 मई को आखिरी चरण के मतदान में कुल 59 सीटों का फैसला होना था। इनमें से 31 बीजेपी को मिली थी। 8 कांग्रेस और 20 अन्य को मिली थीं।
2019 के चुनावों के ट्रेंड
शुरुआती वोटिंग वाले दौर में बीजेपी को कम सीटें मिली थीं। पांचवें चरण में बीजेपी के सीटों की कुल संख्या विपक्ष के मुकाबले ज्यादा हो गईं। 6वें चरण में बीजेपी की सीटों की संख्या लोकसभा की कुल सीटों की आधी संख्या यानी 272 को पार कर गईं। 19 मई को ज्यादातर एग्जिट पोल में बीजेपी और एनडीए की जीत का अनुमान जताया गया था।
बाजार का रिएक्शन यह हो सकता था
अब अगर 2019 के चुनावों पर गौर किया जाए तो पांचवें चरण तक के चुनाव तक मार्केट को क्रैश कर जाना चाहिए था। पांचवें चरण के चुनावों के बाद मार्केट में बड़ी तेजी आनी चाहिए थी। मार्केट को छठे चरण के मतदान के बाद जीत का जश्न मनाना चाहिए था, क्योंकि बीजेपी इतनी ज्यादा सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस के बाद पहली पार्टी बनी। एक्जिट पोल के नतीजों के बाद मार्केट को सातवें आसमान पर होना चाहिए था, क्योंकि एग्जिट पोल में ज्यादतर एजेंसियों ने बीजेपी-एनडीए की जीत का अनुमान लगया था।
असल में मार्केट में क्या हुआ था?
11 और 22 अप्रैल के बीच जब बीजेपी विपक्ष से पीछे चल रही थी तब 22 अप्रैल को छोड़ बाकी दिनों मार्केट में तेजी आई थी। 23 अप्रैल के बाद जब बीजेपी सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली थी तब अगले कुछ दिनों तक बाजार में खास प्रतिक्रिया नहीं दिखी थी। 29 अप्रैल, 6 मई और 12 मई को जब बीजेपी ने कांग्रेस के मुकाबले काफी ज्यादा सीटें जीती थीं तब अगले कुछ दिनों में मार्केट या तो फ्लैट रहा था या गिरावट आई थी। 13 मई को सेंसेक्स का लेवल सबेस कम था, जबकि यह तारीख तीन बार की वोटिंग में बीजेपी के मजबूत प्रदर्शन के बाद आई थी। 17 मई को मतदान खत्म होने से पहले सेंसेक्स 10 अप्रैल के अपने लेवल से करीब 2000 अंक नीचे बंद हुआ था।
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एग्जिट पोल के नतीजों के बाद 20 मई को बाजार ने जश्न मनाया। लेकिन, 21 मई को फ्लैट बंद हुआ। 21 मई को यह 10 अप्रैल के लेवल से सिर्फ 100 अंक नीचे बंद हुआ। 2019 के लोकसभा चुनावों में वोटिंग के दौरान मार्केट के प्रदर्शन को देखकर ऐसा लगता है कि तब भी मार्केट में उतनी ही अनिश्चितता थी, जितनी आज है।