Lok Sabha Elections 2024: कामकाज की कसौटी पर मौजूदा सांसदों को टिकट देगी BJP, कई लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार बदलना है मजबूरी

Lok Sabha Elections 2024: कुल 80 लोकसभा क्षेत्र में से कुल 64 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को विजय मिली थी। साल 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले उसे लगभग 9 सीटों का नुकसान हुआ था। जबकि सपा बसपा और RLD गठबंधन को 15 और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट ही हासिल हुई थी। पार्टी 16 सीटों पर हारी थी

अपडेटेड Feb 21, 2024 पर 6:15 AM
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Lok Sabha Elections 2024: कामकाज की कसौटी पर मौजूदा सांसदों को टिकट देगी BJP

Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश के लगभग 30 से ज्यादा बीजेपी सांसदो की सांसे अटकी हुई है। चर्चा यह है कि इसबार बीजेपी नेतृत्व सांसदों के कामकाज की कसौटी पर टिकटों का बंटवारा करेगा। सभी की नजर जिन महत्वपूर्ण सीटों की ओर है, उनमें अयोध्या सबसे प्रमुख है। अयोध्या की चर्चा पूरे देश में है और बीजेपी के लिए यह सीट बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस सीट पर लल्लू सिंह बीजेपी के सांसद हैं। क्या पार्टी अयोध्या में किसी बड़े चेहरे को मैदान में उतारेगी? इस मुद्दे को लेकर चर्चा काफी गर्म है, लेकिन इतना साफ है की अयोध्या में कोई भारी भरकम प्रत्याशी मैदान में उतरेगा। वह कौन होगा इसको लेकर तमाम अटकलें लगती रहती हैं।

सभी लोकसभा सीटों पर पार्टी की तरफ से कराए गए अलग-अगग सर्वे से जो बातें उभर के आई हैं, उससे तो यही लगता है कि कई सांसद अपने काम पर खरे नहीं उतरे। कई सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे पर थे और हैं। क्षेत्र से उनका ज्यादा सरोकार नहीं रहा। इसलिए पार्टी यह जांच कर रही है की कौन सा सांसद चुनाव जीत पाएगा कौन नहीं।

इसके साथ ही BJP अपने सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल (RLD) समेत अपना दल, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी और संजय निषाद की निषाद पार्टी को भी सीट देंगी। यह साफ है कि इस बार सांसदों के कामकाज का लेखा-जोखा भी बहुत ही कड़ाई से लिया जा रहा है और टिकट में बड़ी संख्या में बदलाव भी होंगे। साथ ही उन क्षेत्रों में प्रत्याशियों की तलाश हो रही है, जहां पिछली बार बीजेपी चुनाव हार गई थी।


उत्तर प्रदेश में अपनी जीत का रिकॉर्ड बनाना है

कुल 80 लोकसभा क्षेत्र में से कुल 64 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को विजय मिली थी। साल 2014 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले उसे लगभग 9 सीटों का नुकसान हुआ था। जबकि सपा बसपा और RLD गठबंधन को 15 और कांग्रेस को सिर्फ एक सीट ही हासिल हुई थी। पार्टी 16 सीटों पर हारी थी।

उसमें पिछले चुनाव में लड़े सभी प्रत्याशियों के बारे में विचार विमर्श हो रहा है कि उन्हें मैदान में उतारा जाए या नहीं। पार्टी को सबसे बड़ा झटका पश्चिम उत्तर प्रदेश में लगा था। बीजेपी के लिए सबसे चौंकाने वाले परिणाम मुरादाबाद मंडल से आए थे, जहां पर वह सभी छह सीट हार गई थी। पार्टी के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है कि वह कैसे मुरादाबाद मंडल में फिर अपनी स्थिति मजबूत करें।

इसी मंडल में संभल लोकसभा सीट भी है, जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल्कि भगवान के मंदिर का शिलान्यास करने आए थे। पार्टी नेताओं का मानना है कि अगर उसे उत्तर प्रदेश में अपनी जीत का रिकॉर्ड बनाना है, तो हर सीट पर प्रत्याशी को उसके जनाधार के हिसाब से परखना होगा।

बीजेपी नेतृत्व मेरठ, बरेली, बदायूं, फिरोजाबाद, मथुरा, शाहजहांपुर, कानपुर देहात, कानपुर शहर, झांसी, हमीरपुर, बाराबंकी, फैजाबाद, गोंडा, बहराइच, डुमरियागंज, देवरिया, चंदौली, प्रयागराज, श्रावस्ती, सीतापुर, बलिया, समेत लगभग 35 लोकसभा क्षेत्र में यह आकलन कर रही है कि पुराने प्रत्याशियों को ही मैदान में उतारा जाए या नए चेहरों को लाया जाए।

कुछ सीटों पर उम्मीदवार बदलना है मजबूरी

कुछ लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी बदलने की मजबूरी भी है। बरेली में संतोष गंगवार के लगभग नौ चुनाव जीतने के बाद अब वह क्या फिर चुनाव लड़ेंगे। अब वह बहुत बुजुर्ग हो चुके हैं। वह चुनाव लड़ने की तैयारी तो कर रहे हैं, लेकिन चर्चा ये है कि अगर टिकट मिलेगा, तो उनके पुत्री भी चुनाव मैदान में उतर सकती है। लेकिन उससे भी बड़ी चिंता उन वर्तमान सांसदों को लेकर है, जो अब अपने-अपने क्षेत्र में उतने लोकप्रिय नहीं हैं, जिससे चुनाव आसानी से निकल सके।

सूत्रों के अनुसार, हारी और जीती सभी सीटों में पिछले चुनाव के मुकाबले लगभग 45 सीटों पर नए चेहरे सामने आ सकते हैं, इलाहाबाद से रीता बहुगुणा जोशी की जगह नया प्रत्याशी आ सकता है। वास्तव में पिछले कुछ समय से बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व रीता बहुगुणा जोशी से इस बात से नाराज है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था और वह पुत्र का साथ भी दे रही थी।

कानपुर शहर से सत्यदेव पचौरी सांसद हैं और इस सीट पर बदलाव होगा। उम्र के लिहाज से पचौरी का चुनाव लड़ना मुश्किल है और इस सीट पर उन प्रत्याशियों की तलाश हो रही है, जो बेहतर चुनाव लड़ सके। कमोवेश यही स्थिति मेरठ लोकसभा सीट को लेकर है। इस सीट से राजेंद्र अग्रवाल सांसद हैं। इस सीट पर भी पार्टी का नेतृत्व बदलाव करने का मन बना चुका है।

पड़ोस की ही मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री सुधीर बालियान सांसद हैं और उन पर अभी भी पार्टी नेतृत्व को पूरा भरोसा है। एक बड़ा परिवर्तन मथुरा में हो सकता है, यहां से प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी का इस बार टिकट कट सकता है। वास्तव में हेमा मालिनी के कार्यकाल में विकास तो हुआ, लेकिन मतदाता उनसे नाराज हैं।

फिरोजाबाद सीट से इस बार चंद्र सेन जादौन को टिकट मिलने की संभावना न के बराबर है। इस सीट पर कोई नया प्रत्याशी आएगा और लगभग एक दर्जन लोग टिकट के दावेदार भी हैं। झांसी ललितपुर सीट पर भी परिवर्तन होगा। बुंदेलखंड की हमीरपुर सीट पर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल का टिकट कट सकता है। वहीं जालौन के सांसद भानु वर्मा लगातार कई बार से चुनाव जीत रहे हैं और इस बार वहां पर भी बदलाव की सुगबुगाहट है।

सीतापुर से राजेश वर्मा बीजेपी सांसद हैं। वह दो बार बसपा से और दो बार बीजेपी से सांसद रह चुके हैं। पार्टी नेतृत्व अब इस सीट पर पिछड़े वर्ग का ही नया प्रत्याशी खोज रहा है। बाराबंकी सीट पर भी नया चेहरा मैदान में आएगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका रावत, जो उस समय सांसद थीं, उनका टिकट काट दिया गया था।

इस बार वह टिकट की प्रबल दावेदार हैं, लेकिन यहां भी टिकट चाहने वालों की लंबी चौड़ी लाइन है। देवरिया से रमापति राम त्रिपाठी लोकसभा सदस्य है। इस बात वहां पर नया चेहरा सामने आएगा। वैसे इस सीट पर सहयोगियों की भी दावेदारी है। यही नहीं डुमरियागंज से जगदंबिका पाल सांसद हैं और इस बार सीट पर बदलाव की संभावना है।

Brijesh Shukla

Brijesh Shukla

First Published: Feb 21, 2024 6:15 AM

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