वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 मई को कांग्रेस से पूछा था कि उसने अपने घोषणापत्र में जो वादे किए हैं क्या उस पर आने वाले खर्च का कैलकुलेशन किया है? उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या वह इसके लिए कर्ज लेगी या टैक्स से ज्यादा पैसे जुटाएगी? कांग्रेस का घोषणापत्र आम आदमी की दो बुनियादी जरूरतों को पूरा करता दिख रहा है- बेरोजगारी और कम कंजम्प्शन। कांग्रेस ने महिलाओं के लिए कैश ट्रांसफर स्कीम शुरू करने का ऐलान किया है। रोजगार बढ़ाने के लिए नई एप्रेंटिशशिप स्कीम का ऐलान किया है। सवाल यह है कि पार्टी ने जो वादे किए हैं उसके लिए पैसे कहां से आएंगे?
एक इनकोनॉमिस्ट ने बताया कि कांग्रेस ने जो वादे किए हैं उससे फिस्कल डेफिसिट FY25 के तय टारगेट के मुकाबले 1.5-2 फीसदी बढ़ सकता है। इसका मतलब है कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है तो फिस्कल डेफिसिट बढ़कर 7.1 फीसदी तक पहुच जाएगा। केंद्र की एनडीए सरकार फिस्कल डेफिसिट को लेकर सख्त रही है। वह FY24 में फिस्कल डेफिसिट घटाकर 5.8 फीसदी पर ले आई है। इस वित्त वर्ष में इसमें और 0.70 फीसदी कमी करने का टारगेट रखा है। सरकार ने मीडियम टर्म यानी वित्त वर्ष 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को घटाकर 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य तय किया है।
जहां तक कंजम्प्शन की बात है तो डेटा इसके कमजोर रहने के संकेत देते हैं। FY24 की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8.4 फीसदी थी। लेकिन, प्राइवेट कंजम्प्शन 3.5 फीसदी रहा। यह कोविड से पहले के स्तर पर बना हुआ है। फाइनेंस सेक्रेटरी टीवी सोमनाथन ने इस बारे में कहा था कि स्थिति सामान्य रहने पर कंजम्प्शन को मॉनिटर करना सरकार की प्राथमिकता नहीं होती। कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र में कंजम्प्शन पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया है।
कांग्रेस ने फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) को लीगल गारंटी देने का वादा किया है। फूड एवं ट्रेड एनालिस्ट देविंदर शर्मा ने कहा कि सभी 24 फसलों के लिए एमएसपी की लीगल गारंटी से सरकार पर हर साल अतिरिक्त 1.5-2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च पड़ेगा। यह पैसा जुटाना सरकार के लिए मुश्किल नहीं है। अब भी आबादी का करीब 50 फीसदी हिस्सा सीधे या परोक्ष रूप से एग्रीकल्चर पर निर्भर है। लेकिन, फॉर्म सेक्टर के लिए एलोकेशन सिर्फ 1.25 लाख करोड़ रुपये है।
एग्रीकल्चर के लिए ज्यादा एलोकेशन
शर्मा ने कहा कि हमारा सालाना बजट करीब 48 लाख करोड़ रुपये का है। उन्होंने पूछा कि फिर हम एग्रीकल्चर के लिए ज्यादा एलोकेशन क्यों नहीं कर सकते? यह 2 लाख करोड़ रुपये या तो रेवेन्यू का सोर्स बढ़ाने से आएंगे या सरकार को अपने दूसरे खर्च में कमी करनी पड़ेगी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) की प्रोफेसर लेखा एस चक्रवर्ती ने कहा, "सभी स्कीमों को एक में मिलाया जा सकता है, जिससे फिस्कल डेफिसिट पर दबाव कम पड़ेगा।"
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सरकार पर बढ़ेगा कर्ज का बोझ
उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल सभी वादे लागू किए जाते हैं तो शुरुआती सालों में सरकार को बॉन्ड्स के जरिए थोड़ा ज्यादा कर्ज लेना पड़ेगा। इससे सरकार के फिस्कल कंसॉलिडेशन के तय रास्ते से भटकने को लेकर थोड़ी चिंता हो सकती है। सरकार बॉन्ड्स के जरिए अब कम कर्ज लेना चाहती है। इस वित्त वर्ष में सरकार बॉन्ड्स से 14.13 लाख करोड़ रुपये जुटा रही है, जो एक साल पहले के मुकाबले करीब एक लाख करोड़ रुपये कम है।