Rajasthan Lok Sabha Polls 2024: राजस्थान की बांसवाड़ा लोकसभा सीट को लेकर जिस तरह की तस्वीर सामने आई है, वह राजनीति के स्तर में निरंतर गिरावट को बयां करती है। इस सीट पर कांग्रेस-भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) और BJP के बीच सीधी टक्कर की जगह मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है। यहां बीजेपी के महेंद्र जीत मालवीय, BAP के राजकुमार रोत और कांग्रेस के अरविंद डामोर मुख्य उम्मीदवार हैं। कांग्रेस आलाकमान के कहने के बावजूद डामोर ने अपना नामांकन वापस लेने से इनकार कर दिया। डामोर बीएपी या बीजेपी के लिए कई चुनौती नहीं हैं। लेकिन, चुनावी मैदान में उनके डरे रहने से कांग्रेस की काफी किरकिरी हो रही है।
कांग्रेस की मुश्किल की वजह
कांग्रेस की इस मुश्किल की वजह बीएपी के साथ गठबंधन करने में उसकी नाकामी है। महीनों तक चली बातचीत और भाजपा को यहां से जीतने से रोकने के साझा लक्ष्य के बावजूद दोनों दलों के बीच मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर समझौता नहीं हो सका। हालांकि, दोनों दलों ने 2023 में विधानसभा चुनावों से पहले ही गठबंधन के लिए बातचीत शुरू कर दी थी। लेकिन, बात नहीं बन सकी। आखिरकार इस आदिवासी बहुल इलाके की तीनों सीटों से बीएपी के तीनों उम्मीदवार अपने दम पर चुनाव जीत गए।
बीएपी ने उम्मीदवार खड़े करने में दिखाई जल्दबाजी
बांसवाड़ा के इलाके में बीएपी के मजबूत सपोर्ट को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व बीएपी के साथ गठबंधन करना चाहता था। लेकिन, बांसवाड़ा और डूंगरपुर के लोकल लीडर्स इस समझौते के खिलाफ था। उनका मानना था कि इससे भविष्य में इस इलाके में कांग्रेस की सभावनाओं पर चोट पहुंचेगी। कांग्रेस के देर करने पर बीएपी ने अपने विधायक राजकुमार रोत को यहां से लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके कुछ ही घंटों बाद कांग्रेस ने युवा नेता अर्जुन डामोर को अपना उम्मीदवार बनाने का ऐलान कर दिया।
कांग्रेस-बीएपी ने समझौता करने में कर दी देर
दोबारा कांग्रेस और बीएपी में चली लंबी बातचीत के बाद दोनों दलों ने समझौते का ऐलान किया। लेकिन, कांग्रेस के उम्मीदवार डामोर ने अपना नाम वापस लेन से इनकार कर दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर यह ऐलान कर दिया कि वह कांग्रेस और राहुल गांधी की प्रतिष्ठा बचाने के लिए चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित कर दिया। अब कांग्रेस ने मतदाताओं से डामोर को नहीं बल्कि बीएपी उम्मीदवार रोत को वोट देने की अपील की है।
बीजेपी उम्मीदवार को हो सकता है फायदा
इस इलाके की राजनीति की समझ रखने वालों का कहना है कि डामोर के चुनावी मैदान में डटे रहने का फायदा बीजेपी उम्मीदवार महेंद्र जीत मालवीय को मिलेगा। वह कांग्रेस के बड़े नेता था, लेकिन फरवरी में बीजेपी में शामिल हो गए। चार बार विधायक रहे मालवीय गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। उनके शामिल होने के तुरंत बाद बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बना दिया।
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बीजेपी उम्मीदवार का पलड़ा भारी
सूत्रों का कहना है कि डामोर के अपना नाम वापस नहीं लेने के पीछे मालवीय का हाथ है। डामोर के चुनावी मैदान में डटे रहने से मतदाताओं में उलझन की स्थिति बनेगी जिससे बीएपी उम्मीदवार राजकुमार रोत की संभावनाओं पर असर पड़ेगा। बांसवाड़ा के साथ डूंगरपुर और उदयपुर ऐसे इलाके हैं, जिनमें राजस्थान की आदिवासी आबादी का बड़ा हिस्सा रहता है। आरएसएस से जुड़ी वनवासी कल्याण परिषद इस इलाके में सक्रिय रही है। वह स्कूल, सांस्कृतिक समूह और मेडिकल कैंप के जरिए हिंदुत्व का एजेंडा आगे बढ़ाती है। ऐसे में मालवीय के बीजेपी में जाने से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा।
बांसवाड़ा में वोटिंग 26 अप्रैल को
बांसवाड़ा की लोकसभा सीट पर दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को वोटिंग है। यहां मुख्य लड़ाई बीजेपी और बीएपी उम्मीदवार के बीच दिख रही है। बीएपी उम्मीदवार को कांग्रेस का समर्थन हासिल है। लेकिन, कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर डामोर के चुनाव लड़ने से मतदाताओं के बीच उलझन की स्थिति पैदा होगी, जिसका खराब असर बीएपी उम्मीदवार की संभावनाओं पर पड़ेगा।