One Nation, One Election: 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर रामनाथ कोविंद समिति ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट, क्या हैं इसके मायने

One Nation, One Election: 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार पहली बार 1980 के दशक में प्रस्तावित किया गया था जहां चुनाव आयोग ने 1983 में सुझाव दिया था कि ऐसी सिस्टम विकसित की जानी चाहिए कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हो सकें। हालांकि, इस विचार पर आधिकारिक चर्चा भारतीय जनता पार्टी सरकार के तहत शुरू हुई

अपडेटेड Mar 14, 2024 पर 1:04 PM
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One Nation, One Election: यह रिपोर्ट 191 दिनों के रिसर्च के बाद तैयार की गई है

One Nation, One Election: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ram Nath Kovind) की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के एक साथ चुनाव कराने (One Nation, One Poll Report) पर गुरुवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। एक बयान में कहा गया है कि समिति ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी।

बयान में कहा गया है कि यह रिपोर्ट दो सितंबर 2023 को समिति गठन के बाद से विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा और 191 दिनों के रिसर्च के बाद तैयार की गई है। समिति ने कहा है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, जिसके बाद 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं।

इसमें आगे कहा गया है कि त्रिशंकु सदन और अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में शेष पांच साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं। कोविंद समिति ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, कर्मचारियों और सुरक्षा बलों संबंधी जरूरतों के लिए पहले से योजना बनाने की सिफारिश की है।


समिति ने कहा कि निर्वाचन आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करेगा। अपनी रिपोर्ट में समिति ने निष्कर्ष निकाला कि उसकी सिफारिशों से पारदर्शिता, समावेशिता और मतदाताओं की सहजता और विश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

क्या है 'वन नेशन, वन इलेक्शन'?

बता दें कि 'वन नेशन, वन पोल' या 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का विचार पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने से है, जिसका अर्थ है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे। समिति का गठन इस पेचीदा मुद्दे से निपटने के लिए सरकार की गंभीरता को दर्शाता है, जहां कम से कम 18 राज्य बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगे क्योंकि उनके राज्य का चुनाव लोकसभा से काफी अलग निर्धारित है।

राजनीतिक दलों का विरोध

कई विपक्षों ने इस विचार का लगातार विरोध किया है। पिछले महीने तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र की प्रस्तावित 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' नीति के खिलाफ एक प्रस्ताव लाकर इसे अव्यवहारिक और अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने वर्ष 2026 के बाद जनगणना (जो लोकसभा चुनावों के बाद आयोजित की जा सकती है) के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया जारी रखने के प्रस्तावित कदम को एक साजिश करार दिया।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी ने भी इस साल की शुरुआत में कहा था कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार भारत के संघीय ढांचे के अनुसार व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। विचार के कार्यान्वयन के लिए सुझाव मांगने वाली एक उच्च-स्तरीय समिति के सचिव डॉ नितेन चंद्रा को पत्र भेजने के कुछ घंटों बाद, बनर्जी ने भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से इस मामले को "बहुत तर्कसंगत रूप से" देखने का अनुरोध किया।

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इसके अलावा 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार का कड़ा विरोध करते हुए दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने कहा था कि "वन नेशन वन इलेक्शन संसदीय लोकतंत्र के विचार, संविधान की बुनियादी संरचना और देश की संघीय राजनीति को नुकसान पहुंचाएगा।"

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