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Lok Sabha Elections 2024: शशि थरूर के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए चंद्रशेखर को ही क्यों चुना गया?

तिरुअनंतपुरम लोकसभा सीट का चुनाव इस बार दिलचस्प रहने वाला है। यहां से मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर एक ओर जहां फिर से चुनाव मैदान हैं, वहीं बीजेपी ने सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री मंत्री राजीव चंद्रशेखर को मैदान में उतारा है। सीपीएम की अगुवाई वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की तरफ से पन्यन रवींद्रन मैदान में हैं

अपडेटेड Mar 08, 2024 पर 3:34 PM
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तिरुअनंतपुरम सीट पर चंद्रशेखर की एंट्री ने लोकसभा सीट को त्रिकोणीय बना दिया है।

तिरुअनंतपुरम लोकसभा सीट का चुनाव इस बार दिलचस्प रहने वाला है। यहां से मौजूदा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर (Shashi Tharoor ) एक ओर जहां फिर से चुनाव मैदान हैं, वहीं बीजेपी ने सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) को मैदान में उतारा है। सीपीएम की अगुवाई वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की तरफ से पन्यन रवींद्रन मैदान में हैं।

इस सीट पर चंद्रशेखर की एंट्री ने लोकसभा सीट को त्रिकोणीय बना दिया है। इसके अलावा, रवींद्रन इस सीट पर 2005 में चुनाव जीत चुके हैं। थरूर का इस सीट पर 2009 से कब्जा है और इस बारे में उन्हें चंद्रशेखर से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। इस तरह, यह मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए, तो तिरुअनंतपुरम लोकसभा क्षेत्र से कभी कांग्रेस तो कभी सीपीएम के उम्मीदवार को जीत मिलती रही है। थरूर लगातार 3 बार से यहां जीत रहे हैं।

दक्षिण भारत को लेकर बीजेपी की महत्वाकांक्षा

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चंद्रशेखर का तिरुअनंतरपुरम से उतारने का फैसला दक्षिण भारत खास तौर पर केरल में मौजूदगी सुनिश्चित करने की पार्टी की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जहां उसे पारंपरिक तौर पर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। चंद्रशेखर को उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने मौजूदा राजनीतिक परंपराओं को चुनौती देने और उन क्षेत्रों में भी अपनी पहुंच बढ़ाने को लेकर को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है, जहां काफी प्रतिरोध का साामना करना पड़ रहा है।


370 सीटों पर बीजेपी की नजर

बीजेपी ने इस बार के लोकसभा चुनावों में 370 सीटों का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। पिछले लोकसभा में उसे 303 सीटें मिली थीं। मौजूदा टारगेट को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने उम्मीदवारों के चुनाव में अलग तरह की रणनीति तैयार की है। बीजेपी को पूरा यकीन है कि चंद्रशेखर इस क्षेत्र में थरूर की शख्सियत को चुनौती देने की क्षमता रखते हैं।

थरूर की साख दांव पर 

चंद्रशेखर जहां अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं थरूर का शायद यह आखिरी कैंपेन भी हो सकता है, जैसा कि वह पहले संकेत दे चुके हैं। केरल से बीजेपी का एक भी सांसद नहीं है, लिहाजा चंद्रशेखर की उम्मीदवारी पार्टी के लिए संभावनाओं के द्वार खोल सकती है। अगर चंद्रशेखर चुनाव हार जाते हैं, तो यह उनकी पार्टी के साथ-साथ उनके लिए भी बड़ा झटका हो सकता है।

थरूर की राजनीतिक यात्रा और मार्जिन

2009 के लोकसभा चुनावों में थरूर ने तकरीबन 1 लाख वोटों से जीत हासिल की थी। हालांकि, 2024 में बीजेपी के दिग्गज उम्मीदवार ओ राजगोपाल (O Rajagopal) ने उन्हें कड़ी चुनौती पेश की और थरूर की जीत का मार्जिन घटकर 15,470 वोट रह गया। इस कड़े मुकाबले के बावजूद थरूर ने 2019 में शानदार वापसी की और उन्हें 4 लाख से भी ज्यादा वोट मिले, जबकि बीजेपी उम्मीदार के राजशेखरन को तकरीबन 3.16 लाख वोट मिले थे।

चंद्रशेखर: इंजीनियरिंग से आंत्रप्रेन्योरशिप

चंद्रशेखर ने मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है, जबकि अमेरिका से मास्टर डिग्री ली है। उन्होंने अपनी प्रोफेशनल यात्रा 1988 में इंटेल (Intel) से शुरू की थी। हालांकि, 1991 में वह भारत लौट गए और बीपीएल ग्रुप ज्वाइन कर लिया। उन्होंने 1994 में बीपीएल मोबाइल की स्थापना की। 2005 में उन्होंने बीपीएल कम्युनकेशंस (BPL Communications) में अपनी 64 पर्सेंट हिस्सेदारी एस्सार ग्रुप (Essar Group) को 1.1 अरब डॉलर में बेच दी थी। इसके बाद, इसी साल उन्होंने 10 करोड़ डॉलर के शुरुआती निवेश से ज्यूपिर कैपिटल की स्थापना की।

थरूर का करियर: संयुक्त राष्ट्र से लेकर राजनीति तक

थरूर ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रैजुएशन किया है। उन्होंने अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशंस में मास्टर डिग्री भी हासिल की है। इसके अलावा, उन्होंने लॉ और डिप्लोमेसी में मास्टर डिग्री हासिल कर रखी है और उनके पास पीएचडी की भी डिग्री है। उन्होंने 1978 में अपना करियर संयुक्त राष्ट्र से शुरू किया था। यहां से उन्होंने अप्रैल 2007 में इस्तीफा दे दिया। उस वक्त वह अंडर-सेक्रेटरी जनरल थे।

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