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Loksabha Elections 2024: एनडीए क्या लोकसभा चुनावों में 400 सीटों पर जीत का टारगेट हासिल कर पाएगा?

Loksabha Elections 2024: दो-तीन महीने पहले तक इंडिया अलांयस BJP को कुछ टक्कर देता दिख रहा था। लेकिन, इस बीच बीजेपी ने जिस तरह से कई राजों में नए दलों को अपने साथ जोड़ा है और पुराने सहयोगी दलों को एनडीए का हिस्सा फिर से बनाया है उससे लगता है कि इंडिया ब्लाॉक लड़ाई में बहुत पीछ रह गया है

अपडेटेड Mar 29, 2024 पर 1:07 PM
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हाल में हुए मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के नतीजों से संकेत मिलता है कि कांग्रेस हिन्दी भाषी राज्यों में बीजेपी का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है।

Loksabha Elections 2024: BJP 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले नए दलों को अपने साथ जोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है। इसकी दो वजह दिखती है। पहला, बीजेपी को लोकसभा चुनावों में अपनी जीत का भरोसा है। दूसरा, बीजेपी को अपनी जीत का तो भरोसा है, लेकिन वह सहयोगी दलों के साथ मिलकर एनडीए के लिए 400 सीटें और खुद अपने लिए 370 प्लस सीटों पर जीत का टारगेट हासिल करना चाहती है। क्या सहयोगी दलों को अपने साथ जोड़ने की बीजेपी की यह कोशिश सही है? मतदाताओं के बीच पार्टी की पकड़ और इसके सपोर्ट बेस को देखते हुए मुझे 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की जीत को लेकर कोई संदेह नहीं है। सहयोगी दलों को अपने साथ जोड़ने की असली वजह यह है कि बीजेपी आम चुनावों के बाद भारतीय राजनीति में पूरा प्रभुत्व चाहती है। अगर वह 'कांग्रेस मुक्त भारत' का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकती है तो कम से कम उसे हाशिये पर तो धकेल ही सकती है।

दो महीनों में बदल गई है तस्वीर

दो महीने पहले तक एनडीए थोड़ा कमजोर दिख रहा था। इसकी वजह यह है कि बिहार, यूपी, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राजों में बीजेपी को चैलेंज मिलने का अनुमान था। इसकी वजह यह है कि इन राज्यों में पार्टी का गठबंधन नहीं था या कमजोर गठबंधन था। लेकिन, अब यह मजबूत दिखती है। 2019 में इसे 37.8 फीसदी वोट मिले थे। यह कांग्रेस के 19.6 फीसदी वोट के मुकाबले काफी ज्यादा है। इतना ही नहीं जिन 224 सीटों पर इसे 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे, उनमें इसकी बड़ी जीत हुई थी। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों के नतीजों का आकलन करने के लिए 2019 के डेटा को बेंचमार्क मानना ठीक नहीं होगा।


हिन्दी भाषी राज्यों में कांग्रेस मुकाबले की स्थिति में नहीं

हाल में हुए मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के नतीजों से संकेत मिलता है कि कांग्रेस हिन्दी भाषी राज्यों में बीजेपी का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही है। इनमें कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में इसने BJP को हराया। तेलंगाना में इसने BRS को हराया। इससे यह संकेत मिलता है कि बीजेपी के दूसरे दलों से गठबंधन करने के पहले से इंडिया अलायंस बीजेपी और एनडीए की ताकत का मुकाबला करने में सक्षम नहीं था।

कई राज्यों में नए सहयोगियों के साथ गठजोड़

पिछले दो महीनों के राजनीतिक घटनाक्रम से ऐसा लगता है कि बीजेपी की ताकत दिन ब दिन बढ़ रही है। इसकी वजह यह है कि एक तरफ इसने नए राजनीतिक दलों को अपने साथ जोड़ा है तो दूसरी तरफ अपने कई पुराने सहयोगी दलों को फिर से एनडीए का हिस्सा बना लिया है। पिछले दो महीनों में बीजेपी ने बिहार में जदयू, आंध्र में टीडीपी और जनसेना, यूपी में आरएलडी, तमिलनाडु में AMMK और PMK, महाराष्ट्र में एमएनएस को अपने साथ जोड़ा है। यह गठबंधन एनडीए को 400 सीटों के टारगेट को हासिल करने में मदद करेगा।

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