2009 में जब अमेरिका के राष्ट्रपति के लिए अश्वेत बराक ओबामा चुने गए, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती कार्यालय से कुछ अधिकारियों ने अखबार के दफ्तरों में फोन किया और कहा की यह तो शुरुआत भर है। पूरी दुनिया में दलित नेतृत्व उभर रहा है। ऐसा ही कुछ भारत में होने जा रहा है। उन अति उत्साहित अधिकारियों से यह जानना चाहा कि इसका असर भारत में क्या होगा? उन्होंने कहा देखते रहिए। मायावती जी देश की प्रधानमंत्री बनेंगी। वास्तव में तब उनके दावे में दम लगता था, क्योंकि ये चर्चाएं आए दिन होती थी कि काशीराम को देश का राष्ट्रपति बनाने के लिए कई दल अनुरोध भी कर चुके थे। ये दावा किया जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को उत्तर प्रदेश में भारी सफलता मिलेगी और मायावती देश की प्रधानमंत्री बन सकती हैं। इसका कारण यह भी था कि उस समय मायावती देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थी और 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने बहुमत के बल पर सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।