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मुख्तार अंसारी की मौत बन सकती है लोकसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा? सरकार को घेरने में लगा विपक्ष, BJP भी बचाव के लिए पूरी तरह तैयार

Mukhtar Ansari Death: प्रदेश की योगी सरकार इस गंभीर आरोप पर और भी सतर्क हो गई है कि मुख्तार अंसारी को जेल में जहर दिया जा रहा था। मुख्तार अंसारी की मृत्यु के कारणों को लेकर विपक्षी दलों और भारतीय जनता पार्टी के बीच टकराव और भी बढ़ता जा रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है, जो अब चुनावी मंचों से गूंजेगा

अपडेटेड Mar 29, 2024 पर 10:51 PM
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मुख्तार अंसारी की मौत बन सकती है लोकसभा चुनाव का बड़ा मुद्दा?

Mukhtar Ansari Death: माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की बांदा जेल में हार्ट अटैक (Heart Attack) से हुई मौत ने बड़े विवाद को जन्म दे दिया है। BJP और विपक्षी दलों के बीच नई जंग शुरू हो गई है। न सिर्फ राजनीतिक दलों बल्कि मुख्तार के परिवार वालों ने भी यह आरोप लगाया है कि मुख्तार को जेल में 'धीमा जहर' दिया जा रहा था। इसके बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति फिर एक बार जबरदस्त टकराव के मोड़ पर खड़ी हो गई है। वास्तव में मुख्तार का जिंदगी भर विवादों और अपराध से चोली दामन का साथ रहा और उनकी मृत्यु के कारणों को लेकर भी अब विवाद ही विवाद है।

प्रदेश की योगी सरकार इस गंभीर आरोप पर और भी सतर्क हो गई है कि मुख्तार अंसारी को जेल में जहर दिया जा रहा था। मुख्तार अंसारी की मृत्यु के कारणों को लेकर विपक्षी दलों और भारतीय जनता पार्टी के बीच टकराव और भी बढ़ता जा रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है, जो अब चुनावी मंचों से गूंजेगा। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और बहुजन समाज पार्टी इस मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं, लेकिन बीजेपी भी इसके जवाब के लिए तैयार बैठी है।

मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) वो नाम है, जो गाजीपुर से लगातार छह बार विधायक चुने गए और पूर्वांचल के मुसलमानों में उनकी गहरी पकड़ थी, लेकिन अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह मुख्तार अंसारी को राजनीतिक दलों का ऐसा संरक्षण हासिल था कि जब 2004 में मुख्तार अंसारी से लाइट मशीन गन बरामद की गई, तो तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार हिल गई।


जब अधिकारियों का सरकार ने ही किया उत्पीड़न

तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव मुख्तार के पक्ष में खड़े नजर आए। हालत ये थे कि मुलायम सिंह यादव ने उन तमाम अधिकारियों को प्रताड़ित किया, जिन्होंने लाइट मशीन गन बरामद की थी। उत्पीड़न से परेशान DSP शैलेंद्र सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। तत्कालीन सरकार की तरफ से किए गए उत्पीड़न की कथा बताते हुए शैलेंद्र सिंह रो देते हैं।

एक सच ये भी है कि मुख्तार अंसारी किसी एक के होकर नहीं रहे। जिसकी सरकार उसी के हो लिए। 2007 में जब राज्य में BSP सरकार आ गई, तो मुख्तार अंसारी का रंग भी बदल गया और वह बसपाई हो गए। 2009 में मायावती ने उन्हें वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में BJP के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ मैदान में उतार दिया।

मायावती ने मुख्तार को बताया 'रॉबिनहुड'

मायावती ने मुख्तार के पक्ष में एक विशाल जनसभा में मुख्तार को गरीबों का मसीहा 'रॉबिनहुड' बताया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में मुख्तार की हैसियत क्या थी।

वो पिछले 19 साल से जेल में बंद थे, जेल में भी ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे थे। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों के खिलाफ जबरदस्त अभियान शुरू किया, तो कांग्रेस मुख्तार के पक्ष में मैदान में उतरी।

एक ठेकेदार ने पंजाब में मुख्तार के खिलाफ मुकदमा लिखा दिया और इसकी आड़ में मुख्तार को गिरफ्तार कर पंजाब ले जाया गया। पंजाब की रोपड़ जेल में मुख्तार की तूती बोलने लगी। वास्तव में यह सब कांग्रेस के एक बड़े नेता के इशारे पर किया गया था।

वहां पर उन्होंने खूब ऐशो आराम की जिंदगी गुजारी और उनके पक्ष में पंजाब की कांग्रेस सरकार पूरी तरह खड़ी नजर आई। मुख्तार को वापस पंजाब से उत्तर प्रदेश लाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को नाकों चने चबाना पड़े। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही मुख्तार को उत्तर प्रदेश लाया जा सका, लेकिन कांग्रेस आखिरी समय तक लगी रही कि किसी तरह मुख्तार को उत्तर प्रदेश न जाने दिया जाए, क्योंकि यहां पर योगी सरकार का डंडा अपराधियों पर चल रहा था।

मुख्तार की मौत बांदा जेल में ऐसे समय में हुई है, जब लोकसभा चुनाव का परवान चढ़ रहा है। जिस मुख्तार अंसारी की मृत्यु पर इतनी राजनीति हो रही है, उसके अपराध का बहुत लंबा चौड़ा इतिहास है। चौंकाने वाला तथ्य है कांग्रेस ने भी मुख्तार की मौत की न्यायिक जांच करने की मांग की है।

मुख्तार की मौत बन गया 'चुनावी मुद्दा'

असल में विपक्ष और BJP दोनों ही लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के लिए एक बड़ा मुद्दा तैयार कर रहे हैं, जिसकी गूंज चुनाव में सुनाई देगी। विपक्ष को लगता है की मुख्तार का मुद्दा फायदेमंद रहेगा और वो सरकार को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घेर भी सकेंगे और मुस्लिम वोटों को एकजुट भी कर सकेंगे, लेकिन विपक्ष के लिए यह मुद्दा तलवार की धार पर चलने जैसा ही है।

यह बहुत आसान नहीं है कि इस मुद्दे से कोई हवा बनाई जा सके। यह विपक्ष के ऊपर उल्टा भी पड़ सकता है और बीजेपी को हथियार पकड़ा सकता है। बीजेपी इस मुद्दे पर और भी आक्रामक होकर मैदान में उतर सकती है।

कानूनी घेरे में आने से बचाव कर रही सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार वह सारी व्यवस्थाएं कर रही है, जिससे कानूनी रूप से वह बहुत घेरे में न आने पाए। बाराबंकी के MP-MLA कोर्ट में मुख्तार अंसारी के वकील ने एक शिकायत पत्र दिया था कि मुख्तार को 'धीमा जहर' दिया जा रहा है और अब इसका जवाब कोर्ट में ही सरकार को देना पड़ेगा। इसलिए डॉक्टरों के एक पैनल ने कैमरे की निगरानी में मुख्तार अंसारी का पोस्टमार्टम किया।

26 मार्च को मुख्तार का मेडिकल चेकअप कराया गया था। इस रिपोर्ट में ऐसी कोई समस्या नहीं आई थी, जिससे चिंतित हुआ जा सके। फिर उनके भाई अफजाल अंसारी ने मुख्तार की रिपोर्ट देकर संतोष भी जताया था, लेकिन कल रात अकस्मात पड़े दिल के दौरे से हुई मृत्यू पर सवाल फिर खड़े हुए। इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले पर और भी गहराई से जांच करा रही है, जिसकी रिपोर्ट लोगों के बीच रखी जा सके।

यह तथ्य चौंकाता है कि जो नेता मुख्तार के रास्ते में आया उसे हटा दिया गया। वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के भाई पूर्व विधायक अवधेश राय की इन्हीं मुख्तार अंसारी ने हत्या कर दी थी। इस मामले पर उन्हें आजीवन कारावास की सजा भी हुई। बीजेपी के गाजीपुर के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई, क्योंकि उन्होंने मुख्तार के भाई को चुनाव में हरा दिया था।

पूर्वांचल की दिशा और दशा बदल सकता है ये मुद्दा

असल में विपक्षी दल मुख्तार की मौत को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाना चाहते हैं, लेकिन बीजेपी इसी ताक में बैठी है कि विपक्षी दल किसी तरह चुनावी मुद्दा बनाए और फिर BJP मैदान में और भी आक्रामकता से उतरे। बीजेपी के पास इस मुद्दे पर विपक्ष से कहीं ज्यादा बड़े हथियार हैं और वे ऐसे हैं, जो पूर्वांचल की दिशा और दशा बदल सकते हैं।

मुख्तार के समर्थकों का वोट कितना विपक्ष को मिलेगा कितना नहीं यह अलग कहानी है, लेकिन पूर्वांचल को नजदीक से देखने पर यह साफ हो जाता है कि इस मुद्दे पर कुछ लोगों को छोड़कर बहुत ज्यादा लोगों को तकलीफ नहीं है, न बहुत दुख। कारण यही है कि मुख्तार का पूरा जीवन अपराधों से भरा पड़ा है।

दिलचस्प तथ्य है कि अपराधियों से प्रेम कुछ नेताओं को होता है, आम लोगों को नहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जो आरोप लग रहे हैं, उसका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता दिख नहीं रहा है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मृत्यु के कारण की जांच जरूर कराई जाए। इसीलिए बांदा के जिलाधिकारी ने इस मृत्यु के न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। विपक्ष कहता है कि योगी सरकार कानून हाथ में ले रही है और अपराधियों के नाम पर लोगों को मार रही है।

इसमें वो कानून का उल्लंघन भी कर रही है, लेकिन योगी यह कहने में संकोच नहीं करते की उत्तर प्रदेश में या अपराधी जेल में होंगे या ऊपर भेज दिए जाएंगे। योगी इस मुद्दे पर आक्रामक भी हैं और वह अपराधियों के खिलाफ जिस तरह से आक्रामक कार्रवाई कर रहे हैं, उसकी प्रशंसा भी हुई है। लेकिन विपक्ष यह मुद्दा उठा रहा है की अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई अदालतों होनी चाहिए न कि इस तरह जैसा योगी कर रहे हैं। फिलहाल चुनाव के समय मुख्तार अंसारी की मौत बड़ा चुनावी मुद्दा है और इसको कोई छोड़ना भी नहीं चाहता। परिणाम क्या होंगे यह समय बताएगा। विपक्ष भी तैयार और बीजेपी भी।

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