शिवसेना-NCP के समर्थन से क्या महाराष्ट्र में BJP को मिलेगा लाभ या 'महायुति' पर भारी पड़ेगा MVA अलायंस? देखें Exit Poll के नतीजे
Maharashtra Exit Poll 2024: महाराष्ट्र में शरद पवार और उद्धव ठाकरे के प्रति लोगों की सहानुभूति है। सहानुभूति के चलते इन दोनों नेताओं की सभाओं में भारी भीड़ देखी गई। हालांकि यह सहानुभूति कैसे वोट में तब्दील होती है, यह तो 4 जून को ही पता चलेगा। बीजेपी के लिए यूपी के बाद महाराष्ट्र में पार्टी के प्रदर्शन को काफी अहम माना जा रहा है
News18 Exit Poll के मुताबिक, महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 20 से 23 सीटें बीजेपी की झोली में आ सकती हैं
Maharashtra Exit Poll 2024: लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ गए हैं। News18 Exit Poll के मुताबिक, महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 20 से 23 सीटें बीजेपी की झोली में आ सकती हैं। वहीं पूरे एनडीए गठबंधन के पास 32-35 सीट आ सकती हैं। कांग्रेस के हिस्से में केवल 6-9 सीटें और पूरे I.N.D.I.A ब्लॉक के पास 15 से 18 लोकसभा की सीटें आने की उम्मीद है। NDA को 2019 के मुकाबले इस बार कम सीटें मिल रही हैं।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाले NDA को अगर 400 पार पाना है तो उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में भगवा पार्टी के प्रदर्शन को काफी अहम माना जा रहा है। इस लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में सबसे अधिक सियासी दिलचस्पी बनी हुई है। राज्य में BJP की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ 'महायुति' और विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (MVA) के घटक दलों में अधिकतम सीटें पाने की खींचतान जारी है। महायुति ने राज्य की कुल 48 सीटों में से 45 जीतने का लक्ष्य रखा है।
News18 Exit Poll के मुताबिक महाराष्ट्र में किस पार्टी को मिल सकती हैं कितनी सीटें
NDA: 32-35
BJP: 20-22
शिवसेना- एकनाथ शिंदे: 11-13
NCP-अजीत पवार: 0-1
I.N.D.I.A गठबंधन: 15-18
कांग्रेस: 6-9
शिवसेना- उद्धव ठाकरे: 3-6
NCP- शरदचंद्र पवार: 4-7
News18 Exit Poll के नतीजे उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अनुमान हैं।
क्यों अहम है महाराष्ट्र?
लोग इस बात पर अटकलें लगा रहे हैं कि BJP महाराष्ट्र में कितनी सीटें जीतेगी। 48 सीटों के साथ महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा प्रमुख राज्य है है। बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 2014 में 42 और 2019 में 41 सीटें जीती थीं। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश ने बीजेपी को लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनने और बहुमत हासिल करने में मदद की थी।
BJP-शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार) का अभियान कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) और शिवसेना (UBT) गुट के अभियान से ज्यादा मजबूत होने की उम्मीद थी। बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी (अजीत) के पास प्रमुख नेता और संसाधन दोनों थे, फिर भी अभियान अपेक्षा के अनुरूप नहीं चला।
दो सीटों को छोड़कर विपक्ष सत्तारूढ़ गठबंधन से बहुत पहले ही गठबंधन बनाने में कामयाब रहा। बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी (अजीत) ने मतदान के पहले दो चरणों के खत्म होने के बाद ही कुछ सीटों पर अपने मतभेद सुलझाए। इससे गठबंधन के पास प्रचार के लिए बहुत कम समय बचा। आम चुनाव से पहले भाजपा के सहयोगियों की ओर से असहयोग की शिकायतें बार-बार सामने आईं।
रोमांचक होने वाला है मुकाबला
महाराष्ट्र में इस बार लोकसभा चुनाव काफी रोमांचक होने वाला है। मुकाबला इसलिए रोमांचक होगा क्योंकि कभी बीजेपी के साथ गलबहियां करने वाले उद्धव ठाकरे आज विपक्षी खेमे में हैं। बीजेपी संख्या बल के हिसाब से राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है। इस बार बीजेपी की परंपरगत दोस्त शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के साथ ही धुर विरोधी NCP (अजीत पवार) भी साथ में है। इसके अलावा राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (NCP) और राष्ट्रीय समाज पक्ष भी NDA में शामिल हैं।
शिवसेना-NCP में टूट से बीजेपी को होगा फायदा?
बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस पार्टी के साथ शिवसेना (UBT) और NCP (शरद पवार) का अलायंस है। उद्धव ठाकरे और शरद पवार की मूल पार्टी पहले ही छीन चुकी है। पार्टी के साथ बड़ी संख्या में विधायक और सांसद NDA गुट में जा चुके हैं। संभावना है कि इस चुनाव में इनकी पार्टियों के परंपरागत वोट बैंक भी इनका साथ छोड़ सकता है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इसका सबसे अधिक फायदा बीजेपी और उसके गठबंधन को होगा। विभिन्न ओपिनयिन पोल भी इस तरह की संभावना की पुष्टि कर रहे हैं। जमीनी समीकरणों की बात करें तो उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी में टूट होने से ये दोनों नेता काफी कमजोर पड़ गए हैं।
2019 के रिजल्ट
2019 लोकसभा चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने एक साथ मिलकर लड़ा था। बीजेपी ने 23 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना ने 18 सीटों पर बाजी मारी थी। मत प्रतिशत की बात करें तो उस चुनाव में बीजेपी ने 47 फीसदी वोट हासिल किए थे। वहीं शिवसेना 37 फीसदी वोट के साथ शानदार प्रदर्शन करने में सफल रही थी। बाकी सभी पार्टियों को कुल 14 फीसदी वोट मिले थे और महज 7 सीटें ही विपक्षी पार्टियों के खाते में गिरी थीं।
इस बार बीजेपी 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। अगर शिंदे सेना की सीटें कम आईं, तो बीजेपी निश्चित ही सीएम शिंदे को विलेन ठहराएगी। अगर ज्यादा सीटें जीती, तो श्रेय डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस लूट ले जाएंगे। बीजेपी की खुद की सीटें कम आने पर फडणवीस के विरोधी सक्रिय हो जाएंगे और आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी डगर कठिन हो जाएगी। दिल्ली में भी फडणवीस का राजनीति वजन कम होगा। फडणवीस के राजनीति करियर के लिए यह लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है।
मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल द्वारा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) कैटेगरी में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन और राज्य सरकार द्वारा पूर्ण आरक्षण देने से इनकार करने से समुदाय में नाराजगी है। नतीजतन, मराठवाड़ा की आठ सीटों में से कम से कम छह सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए, बीजेपी को बीड में जीत का भरोसा था, लेकिन इसके बजाय पार्टी को मराठों के गुस्से के कारण चुनौती का सामना करना पड़ा। इसी तरह, जालना में, पांच बार के सांसद रावसाहेब दानवे को लग रहा है कि यह चुनाव आसान नहीं है।
मतदान के अंतिम चरण से पहले, बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि पार्टी को 16 निर्वाचन क्षेत्रों में कड़ी टक्कर मिल रही है। हालांकि, पार्टी मुंबई में भी संघर्ष कर रही है। बीजेपी-शिवसेना ने 2014 और 2019 में मुंबई की सभी छह सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार मराठी बनाम गुजराती भावना और उद्धव ठाकरे के प्रति सहानुभूति जैसे कारकों के कारण गठबंधन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच मुंबई की कम से कम चार सीटों पर कड़ी टक्कर है।
इसके अलावा सत्ता में एक दशक के बाद भारतीय जनता पार्टी को कृषि उपज के लिए पर्याप्त कीमतों की कमी के कारण ग्रामीण अशांति का सामना करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में अनियमित मौसम की मार भी झेलनी पड़ रही है, जिसके कारण बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हुई है, जिससे फसलें बर्बाद हो गई हैं। हालांकि राज्य ने मुआवजा दिया है, लेकिन इसे पर्याप्त नहीं माना गया है।