एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की परफॉर्मेंस 2019 के मुकाबले बेहतर रह सकती है। एंटीक ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि एनडीए की सीटें 2019 के मुकाबले ज्यादा रह सकती हैं, लेकिन सत्ताधारी गठबंधन को उतनी सीटें नहीं आएंगी, जितनी का दावा कुछ ओपिनियन पोल में किया गया है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि बीजेपी को खुद से 303 सीटें मिल सकती है, जबकि एनडीए की सीटें बढ़कर 353 हो जाएंगी। लोकसभा में बहुमत हासिल करने के लिए 272 सीटों की दरकार होती है।
यह नोट 17 मई को पेश किया गया और इसके मुताबिक इस बार मतदान का प्रतिशत 2024 के मुकाबले ज्यादा रह सकता है। दरअसल, चुनाव आयोग ने इस बार 85 साल से ऊपर के बुजुर्गों और दिव्यांग मतदाताओं के लिए पोस्टल बैलेट का विकल्प उपलब्ध कराया है। इस बार कम वोटिंग, खास तौर पर पहले चरण में वोटरों के लिए चिंता का विषय रही है, लेकिन कुछ चरणों में यह अंतर कम हुआ है। पांचवे चरण के तहत 20 मई को लोकसभा की 49 सीटों पर वोटिंग हो रही है।
एंटीक ब्रोकिंग के एक्सपर्ट्स ने अपना अनुमान इन फैक्टर्स के आधार पर पेश किया है:
बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए पहली बार पोस्ट बैलेट की सुविधा प्रदान की गई है, जिसकी वजह से वोटरों का मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है। नोट में कहा गया है, ' हमारा मानना है कि मतदान का प्रतिशत और बढ़ सकता है, क्योंकि चुनाव आयोग ने पहली बार 85 से ऊपर के बुजुर्गों और दिव्यांगों वोटरों के लिए पहली बार पोस्टल बैलेट का विकल्प भी उपलब्ध कराया है।'
2004 जैसे नतीजों की आशंका नहीं
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चूंकि बीजेपी के मतदाताओं का दायरा काफी बढ़ चुका है, लिहाजा 2004 के ट्रेंड का फिर से दोहराया जाना मुमकिन नहीं जान पड़ता। एंटीक ब्रोकिंग ने एक 'अहम चुनाव विश्लेषक' के हवाले से बताया है कि सरकार की मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं की वजह से बीजेपी के वोटरों की संख्या काफी बढ़ी है। 2019 में गठबंधन को मिले वोटों से यह स्पष्ट है।
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग का यह भी कहना था कि चुनाव एकतरफा होने की स्थिति में वोटिंग में गिरावट देखने को मिलती है, जैसा कि गुजरात और पंजाब में देखने को मिला। 2024 का लोकसभा चुनाव भी कुछ एकतरफा ही जान पड़ता है, जैसा कि कुछ ओपनियन पोल में भी बताया जा रहा है। ऐसे कुछ पोल में दावा किया गया है कि एनडीए 370-410 सीटें जीत सकता है।
2014 में मतदान प्रतिशत और 2019 में जीत के मार्जिन से दो फैक्टर्स का पता चलता है। जानकारों का मानना है कि मतदान का कम प्रतिशत बीजेपी के कब्जे वाली सीटों पर असर नहीं डाल सकता है, क्योंकि मतदान प्रतिशत में गिरावट मुख्य तौर पर उन सीटों पर जहां पार्टी ने बड़े मार्जिन से जीत हासिल की थी। 2014 और 2019 के चुनावों की ऐसी ही तुलना से पता चलता है कि जिन सीटों पर बड़े मार्जिन से जीत हासिल हुई थी, उन सीटों पर कम मतदान प्रतिशत का मतलब यह है कि पार्टी द्वारा उन सीटों पर चुनाव हारने की संभावना कम है।