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Salary of MP: सांसदों को मिलती है मोटी सैलरी, रुतबा और हनक के साथ ये हैं भत्ते और सुविधाएं

Salary And Allowances Of MP: नई संसद का गठन हो चुका है। मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल भी आज (10 जून) से शुरू हो चुका है। इस बीच बहुत से लोगों की उत्सुकता रहती है कि आखिर सांसदों को सैलरी कितनी मिलती है। उन्हें सैलरी के अलावा क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 10, 2024 पर 4:38 PM
Salary of MP: सांसदों को मिलती है मोटी सैलरी, रुतबा और हनक के साथ ये हैं भत्ते और सुविधाएं
Salary And Allowances Of MP: सांसदों की सैलरी एक लाख रुपये महीना है। उन्हें पेंशन की सुविधा भी मिलती है।

18वीं लोकसभा के लिए सांसदों का चयन हो चुका है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी तीसरी बार काम शुरू कर चुके हैं। इस बार की लोकसभा बेहद दिलचस्प होने जा रही हैं। इस बार संसद में मतबूत विपक्ष होगा। 4 जून को आए नतीजों में भाजपा के 240, कांग्रेस के 99, सपा के 37, टीएमसी के 29, डीएमके के 22, टीडीपी के 16, जेडीयू के समेत कुल 542 सांसद संसद पहुंचे हैं। इस बीच लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई है कि इन जीते हुए सांसदों को अगले पांच साल क्या-क्या लाभ मिलेंगे और बतौर सांसद इन नेताओं की कितनी सैलरी होगी?

सरकार की ओर से सांसदों को 5 साल तक कई सुविधाएं मिलती हैं। कार्यकाल पूरा होने के बाद भी उन्हें पेंशन और कई अन्य सुविधाएं मिलती हैं। सांसद सदस्य को वेतन के तौर पर हर महीने एक लाख रुपये मिलते हैं। दिल्ली में आवास, 3 फोन, सरकार की खर्च पर फ्लाइट, ट्रेन और सड़क के जरिए यात्रा करने की सुविधाएं मिलती हैं। संसद सदस्य के रहते हुए कई तरह की सुविधाओं का अधिकार है. इसके अलावा भूतपूर्व सदस्य के रूप सें कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं।

सांसदों को मिलते हैं ये भत्ते

सांसदों को संसद सत्र में भाग लेने के लिए दैनिक भत्ता के रूप में 2,000 रुपये भी मिलते हैं। अगर सांसद सड़क मार्ग से यात्रा कर रहे हैं तो वे 16 रुपये प्रति किमी की दर से यात्रा भत्ता के भी हकदार हैं। उन्हें हर महीने 45,000 रुपये का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता भी मिलता है। उन्हें ऑफिस कैंपस के रूप में हर महीने 45,000 रुपये भी मिलते हैं, जिसमें स्टेशनरी और डाक खर्च के लिए 15,000 रुपये शामिल हैं। भत्ते का उपयोग सचिव सहायकों के वेतन का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। जाती है। सांसद किसी भी सरकारी या रेफर कराने के बाद किसी प्राइवेट अस्पताल में अगर इलाज, ऑपरेशन कराते है, तो उस इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाती है। इसके अलावा सांसद को सरकारी खर्च पर सुरक्षाकर्मी और केयर-टेकर भी मिलते हैं।

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