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UP Lok Sabha Poll: यूपी में क्या इस बार बीजेपी 2014 का 71 सीटें जीतने का रिकॉर्ड तोड़ पाएगी?

Lok Sabha Elections 2024: यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। अगर एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें जीतनी हैं तो उसे यूपी में ज्यादा सीटें हासिल करनी होगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में वह सिर्फ 62 सीटें जीत पाई थी। तब सपा और बीएसपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था

अपडेटेड May 15, 2024 पर 4:12 PM
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2019 के चुनाव में सपा और बीएसपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। तब भाजपा को 62 सीटें मिली थीं। इस बार अमित शाह यूपी में ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं।

बीजेपी इस बार यूपी में 2019 से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है। उसकी कोशिश 2014 के रिकॉर्ड को भी तोड़ने पर है, जब पार्टी ने यूपी में 71 सीटें जीती थीं। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। यह किसी एक राज्य में सबसे ज्यादा सीटों की संख्या है। 2019 के चुनाव में सपा और बीएसपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था। तब भाजपा को 62 सीटें मिली थीं। इस बार अमित शाह यूपी में ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें हासिल करनी है तो उसे यूपी में ज्यादा सीटें हासिल करनी होगी।

अमित शाह इस बार यूपी में 71 से ज्यादा सीटें जीतने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते नजर आ रहे हैं। वह प्रदेश के हर उस नेता से मिल रहे हैं, जिसकी मदद से बीजेपी की सीटों को संख्या बढ़ सकती है। शाह की खास नजरें रायबरेली की सीट पर है, जहां से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंह को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी से मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था।

इस साल फरवरी में सपा के चीफ व्हिप पद से इस्तीफा देने वाले संदीप पांडेय को रायबरेली से बीजेपी से टिकट मिलने की उम्मीद थी। लेकिन, दिनेश प्रताप सिंह को टिकट मिल जाने के बाद वह मायूस हो गए। हालांकि, अभी उन्होंने औपचारिक रूप से बीजेपी का दामन नहीं थामा है। दूसरा यह कि दिनेश प्रताप सिंह के साथ उनके अच्छे रिश्ते नहीं हैं। उधर, मनोज पांडेय को रायबरेली सीट से भाजपा का टिकट नहीं मिलने से ब्राह्मण समुदाय में नाराजगी है। इसे ब्राह्मण समुदाय अपनी बेइज्जती के तौर पर देख रहा है। रायबरेली सीट के कुल मतदाताओं में ब्राह्मण वोटर्स की हिस्सेदारी करीब 18 फीसदी है।


अमित शाह ने हाल में रायबरेली में रैली की है। तब वे पांडेय से मिलने गए थे। हालांकि, शाह को पता है कि पांडेय अब भी सपा के सदस्य हैं। हालांकि, उनके भाई और बेटा हाल में बीजेपी में शामिल हुए हैं। शाह मनोज पांडेय के घर गए। उनसे बीजेपी उम्मीदवार का समर्थन करने को कहा। लेकिन, यह नहीं पता है कि पांडेय ने इस पर क्या प्रतिक्रिया जताई। बीजेपी ने रिस्क नहीं लेते हुए यूपी के उप मुख्यमंत्री और ब्राह्मण नेता ब्रजेश पाठक का इस्तेमाल रायबरेली के ब्राह्मण वोटर्स को मनाने के लिए किया।

इतना ही नहीं, रायबरेली, अमेठी और प्रतापगढ़ के इलाके में अच्छा असर रखने वाले राजा भैया से भी पिछले हफ्ते मुलाकात की। राजा भैया जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रमुख हैं। शाह की मुलाकात राजा भैया से बेंगलुरु में हुई। इसकी वजह यह है कि जब शाह रायबरेली में थे तब राजा भैया किसी काम से लखनऊ गए थे। इसलिए दोनों की बैठक बेंगलुरु में हुई। राजा भैया ने इस मीटिंग के बारे में यह तो बताया कि दोनों के बीच राजनीति पर चर्चा हुई, लेकिन यह नहीं बताया कि क्या चर्चा हुई।

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हाल में शाह ने यूपी के एक दूसरे बाहुबली नेता धनंजय सिंह से भी मुलाकात की है। उनका जौनपुर इलाके में अच्छा प्रभाव बताया जाता है। सिंह से शाह की मुलाकात के एक हफ्ते बाद ही बीएसपी ने उनकी पत्नी श्रीकला सिंह को जौनपुर से दिया गया टिकट काट दिया। सिंह ने कहा कि ऐसा उन्हें नीचा दिखाने के लिए किया गया है। शाह की मुलाकात के बाद सिंह खुलकर जौनपुर से बीजेपी के उम्मीदवार कृपा शंकर सिंह के समर्थन में आ गए हैं।

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